आज हम आपको नाभि या धरन ठीक करने का मंत्र और विधि एवं जानकारी इनसे संबंधित विशेष प्रकार की जानकारी देने जा रहे हैं! Tantramantra.in एक विचित्र वेबसाइट है जो की आपके लिए प्राचीन तंत्र मंत्र सिद्धियाँ टोन टोटके पुरे विधि विधान के साथ लाती है. निम्नलिखित तंत्र मंत्र प्राचीन तंत्र मंत्र साहित्यो से लिए गए हैं! जैसे इंद्रजाल, लाल किताब, शाबर मंत्र संग्रह इत्यादि|
नाभि टलने या धरन के रोग से बहुत से लोग परेशान रहते हैं। यह समस्या शरीर में असंतुलन, भारी काम, अचानक झटके, या अनुचित उठने-बैठने की आदतों के कारण हो सकती है। यह स्थिति न केवल शारीरिक तकलीफ देती है, बल्कि व्यक्ति की दिनचर्या को भी प्रभावित करती है। नाभि टलने की समस्या का समाधान करने के लिए प्राचीन तांत्रिक उपाय और मंत्र उपयोगी साबित होते हैं।
इस लेख में हम आपको नाभि या धरन ठीक करने के लिए एक विशेष मंत्र और उसकी सही विधि के बारे में बताएंगे। यह उपाय सदियों से पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों में उपयोग किया जाता रहा है और इसे आज भी प्रभावी माना जाता है।
Table of Contents
Toggleनाभि टलने या धरन के लक्षण
नाभि टलने की समस्या के कुछ सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं:
- पेट में दर्द या भारीपन महसूस होना।
- भूख कम लगना या खाना ठीक से न पचना।
- कब्ज़, गैस, और डकार आना।
- शरीर में कमजोरी और थकावट महसूस होना।
- अचानक काम करने पर पेट में खिंचाव या दर्द होना।
यदि ये लक्षण बार-बार हो रहे हैं, तो यह संकेत है कि नाभि ठीक से अपने स्थान पर नहीं है और इसे सही करना आवश्यक है।
नाभि ठीक करने का प्रभावी मंत्र
नाभि को ठीक करने के लिए प्राचीन शास्त्रों में दिए गए मंत्रों का उपयोग प्रभावी होता है। यहाँ एक विशेष मंत्र दिया जा रहा है, जिसे सही विधि से करने पर नाभि टलने की समस्या को दूर किया जा सकता है।
मंत्र:
ॐ नमो नाड़ी नाड़ी नौ सै बहत्तर सौ कोस चले अगाडी डिगे न कोण चले न नाड़ी रक्षा करे जति हनुमंत की आन मेरी भक्ति गुरु की शक्ति फुरो मंत्र ईश्वरोवाचा।
मंत्र सिद्ध करने की विधि
इस मंत्र का प्रभावी रूप से उपयोग करने के लिए इसे सिद्ध करना आवश्यक है। नीचे इस मंत्र को सिद्ध करने और उपयोग करने की विधि दी गई है:
1. मंत्र सिद्ध करने का समय
- इस मंत्र को ग्रहण या दीपावली की महानिशा बेला में सिद्ध करना सबसे अच्छा माना गया है।
- महानिशा बेला वह समय होता है जब रात का मध्यकाल होता है और चारों ओर शांति का वातावरण होता है।
2. तैयारी और सामग्री
- कच्चा सूत (सफेद रंग का धागा)।
- धूप और दीपक।
- एक शांत और पवित्र स्थान।
3. मंत्र सिद्ध करने की प्रक्रिया
- सबसे पहले स्नान करके साफ कपड़े पहनें।
- मंत्र के लिए एक शांत स्थान पर बैठें, जहाँ कोई बाधा न हो।
- धूप और दीपक जलाएं और भगवान हनुमान जी का ध्यान करें।
- इस मंत्र का 108 बार जाप करें।
- कच्चे सूत के धागे में 9 गांठ लगाएं और इसे छल्ले की भांति बना लें।
- इस धागे को रोगी की नाभि पर रखें और मंत्र का 108 बार जाप करें।
- हर बार मंत्र का जाप करते हुए नाभि पर फूँक मारें।
नाभि या धरन ठीक करने का मंत्र और विधि
मंत्र को सिद्ध करने के बाद इसे रोगी की नाभि पर उपयोग करें।
- रोगी को सीधा लिटाएं और नाभि के पास धागा रखें।
- नाभि पर हल्के हाथों से मालिश करें।
- इस दौरान मंत्र का जाप करें और हर बार नाभि के पास फूँक मारें।
- यह प्रक्रिया 7 दिन तक लगातार करें।
सावधानियाँ
- मंत्र का प्रयोग पूरी श्रद्धा और विधि के अनुसार करें।
- सिद्धि के समय मन और स्थान की शुद्धता का विशेष ध्यान रखें।
- रोगी को इस दौरान भारी सामान उठाने और तेज गतिविधियाँ करने से बचना चाहिए।
- नशा या किसी भी प्रकार के व्यसन से दूर रहें।
नाभि ठीक करने के अन्य उपाय
- घरेलू उपाय:
- रोगी को हल्का और सुपाच्य भोजन दें।
- पेट पर गुनगुने तेल से मालिश करें।
- योग और प्राणायाम:
- नौकासन और पवनमुक्तासन जैसे योगासनों का अभ्यास करें।
- प्राणायाम के दौरान गहरी सांस लें और छोड़ें।
- आयुर्वेदिक उपाय:
- हिंग और अजवाइन का उपयोग करें।
- त्रिफला चूर्ण को गुनगुने पानी के साथ लें।
निष्कर्ष
नाभि टलने की समस्या शारीरिक असुविधा और मानसिक तनाव का कारण बन सकती है। इसे ठीक करने के लिए पारंपरिक मंत्रों और विधियों का सहारा लिया जा सकता है। ऊपर दिए गए मंत्र और विधि का पालन करने से नाभि को सही स्थान पर लाने में मदद मिलती है।
यह ध्यान रखें कि यह उपाय तात्कालिक राहत के लिए हैं। यदि समस्या बार-बार हो रही हो तो किसी विशेषज्ञ डॉक्टर या वैद्य से परामर्श अवश्य लें।
जय हनुमान।