चुड़ैल साधना एवं सिद्धि | Chudail sadhna aur siddhi - Tantra Mantra

चुड़ैल साधना एवं सिद्धि | Chudail sadhna aur siddhi

चुड़ैल साधना | कर्ण पिशाचिनी का इतिहास | कर्ण पिशाचिनी साधना: सिद्धि मंत्र PDF और अनुभव | Karna pishachini sadhna
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निम्न लिखित चुड़ैल साधना एवं सिद्धि मंत्र ( Chudail sadhna aur siddhi ) बहुत प्रभावशाली है। Tantramantra.in एक विचित्र वेबसाइट है जो की आपके लिए प्राचीन तंत्र मंत्र सिद्धियाँ टोन टोटके पुरे विधि विधान के साथ लाती है. TantraMantra.in कहता है सभी तांत्रिक मित्रों को इन कार्यविधियों को गुरु के मध्य नज़र ही करना चाहिये। तथा इन इलमो को केवल अच्छे कार्य में ही इस्तेमाल करना चाहिए, अन्यथा आपको इसके बुरे परिणाम का सामना खुद ही करना होगा ।

निम्नलिखित तंत्र मंत्र प्राचीन तंत्र मंत्र साहित्यो से लिए गए हैं! जैसे इंद्रजाल, लाल किताब, शाबर मंत्र संग्रह इत्यादि|

हीर चुड़ैल और इसका स्वरूप

आज हम एक दिवसीय हीर चुड़ैल की साधना दे रहे है। जो कि काफी शक्तिशाली शक्तियों में से एक है और यह जो शक्ति है, यह माता धुवावती से जुड़ी हुई शक्ति है, इस वजह से इसका प्रभाव और भी ज्यादा बढ़ जाता है और यह बहुत ही प्रभावशाली हो जाती है, यह हर कार्य करने में सक्षम होती है और चुड़ैल के हिसाब से देखे तो लोगों की सोच ऐसी होती कि बहुत ही डरावना स्वरूप होगा

परंतु इस शक्ति का जो दर्शन होता है वो बहुत ही सुंदर स्वरूप में होता है, 16-18 वर्ष के कन्या स्वरूप में होता है और काले वस्त्र यह धारण किए हुए रहती और इसके जो बाल है बहुत घने और लंबे होते है इसके जो बाल है बहुत घने और लंबे होते हैं, मतलब घुटनों तक इसके बाल होते हैं, और दिव्य स्वरूप होता है, लाल टीका इसके माथे पे होता है और बहुत ही सुंदर स्वरूप होता है 

हीर चुड़ैल के लाभ

अब हम इसके लाभ के बारे में बात करेंगे लाभ तो बहुत सारे हैं परंतु जो विशेष लाभ है वह बता रहे है। जैसे ये शक्ति सिद्ध होने के बाद आपकी शटकर्म कर सकती है जैसे मनन मोहन उछाटन वशीकरण शांति कर्म इत्यादि सारे शटकर्म करती है, इसके अलावा भूत काल और भविष्य काल की विशेष जानकारी आपको प्रदान करती है, मतलब साधक को प्रदान करती है, इसके अलावा जो है गोपीय तंत्र ज्ञान भी प्रदान करती है, गोपनीय सिद्ध मंत्र भी प्रदान करती है अपने लोगों के, इसके अलावा जो है साधक या साधक के परिवार की हर प्रकार से ये रक्षा सुरक्षा भी करती है,

इसके अलावा जो है साधक के हर प्रकार के मनोकामना को भी पूर्ण करती है, इसके अलावा इसके लाभ की बात करें तो ये साधक को आओषण इत्यादि दिव्यशन इत्यादि प्रदान करती है साधक को इच्छित स्वरूप सुंदरता प्रदान करती है, साधक को गुप्त धन की जानकारी तथा उसको प्राप्त करने की पूर्ण जानकारी भी प्रदान करती है, इसके अलावा जो है साधक को अपनी दिव्य निशानी भी प्रदान करती है,

मतलब निशानी का मतलब अपने हाथ की अंगूठी हो गई, अपने गले का हार हो गया, जो भी हो गया गले का माला हो गया जो भी है ऐसी निशानी प्रदान करती है साधक को तो उस चीज को साधक को बहुत ही अच्छे से संभाल के रखना है उस चीज को जब भी साधक धारण करता है या धारण करती है तो वो शक्ति तुरंत ही साधक से जुड़ जाती है उसमें फिर मंत्र का भी जरूरत नहीं होता है इस कारण से जो मुख्य लाभ है वह मैंने बता दिया इसी वजह से ये साधना को किया जाता है 

हीर चुड़ैल को सिद्ध करने की विधि एवं मंत्र 

अब हम इसकी विधि के बारे में बात करेंगे विधि भी इसकी आसान है देखिए किसी भी शुक्रवार के दिन से शुरू किया जा सकता है शुक्रवार के दिन रात 12 बजे से ये साधना शुरू होगी 12 से तीन के बीच में ठीक है दिशा आपकी दक्षिण होगी दक्षिण दिशा में जो है आप एक लकड़ी की चौकी बिछा ले या ना भी बिछाए लेकिन उसके लकड़ी की अगर बिछाते हैं तो उसके ऊपर काले रंग का नया कपड़ा एक सवा मीटर का बिछा ले या फिर डायरेक्ट फर्श पर भी आप नया कपड़ा बिछा सकते हैं

अब उसके उस कपड़े के बीचोबीच जो है आपको कासे की थाली का पात्र आपको रखना है ठीक है अब उस पात्र में जो है  आपको काला चावल मतलब एक मुठ्ठी चावल ले ले आप बिना टूटा फुटा हुआ चावल उसमें काजल इतनी मात्रा में मिला ले कि उसका रंग जो है वो काला हो जाए और उस पूरे चावल को जो है उस पात्र में पूरी तरह से बिखेर देना है आपको इतना करने के पश्चात आपको पांच नींबू की माला बनानी है ठीक है

कोई भी काले धागे से आप पांच नींबू गोद करके पांच नींबू की माला बना ले छोटी सी माला बना ले अब क्या करना है  आपने जो चावल स्थापित किये है। उसके ऊपर सरसों तेल का दीपक लगा ले और सरसों तेल का दीपक लगाने के पश्चात जो माला अपने नींबू की माला तैयार की है वह उस दीपक को जलाने के पश्चात उसको अर्पण कर दे मतलब उस तीपक के चारों तरफ उस माला को छोड़ दें आप इतना करने के पश्चात आपको जो सिद्ध मंत्र शक्ति का जो मेरे को भी शक्ति के द्वारा ही प्राप्त हुआ है तो उस मंत्र का आपको 16 माला पाठ करना है।

अधिकांश ये शक्ति जो है एक दिन में ही सिद्ध हो जाती है और किसी वजह से अगर एक दिन में अगर सिद्ध नहीं होती है तो अगले दिन में नहीं करना है अगले शुक्रवार में आपको दोबारा साधन करना है सेम वही नियम रहेगा सेम सब कुछ वही रहेगा इसमें काले हकीक की माला का प्रयोग कर सकते हैं काले हकीक की माला से आपको मंत्र का पाठ करना है ठीक है सोला माला का तो अगर आप गुरु मुखी है या आपने दीक्षा ली हैं। तो सबसे पहले दीक्षा मंत्र का 108 बार मतलब एक माला पाठ कर ले

आप इसके अलावा देखिए दूसरे अन्य किसी भी चीजों का पाठ नहीं करना अन्य शक्ति किसी भी मंत्र का पाठ नहीं करना आपको केवल अगर से दीक्षा लिए तभी उसी मंत्र का पाठ करिए नहीं लिए तो कोई बात नहीं है, आप किसी भी मंत्र का पाठ नहीं करें या धुवावती माता का मंत्र है या उनका जो बीज मंत्र उसका पाठ कर सकते हैं 108 बार उसके बाद फिर डायरेक्ट जो है जो ये शक्ति का मंत्र दे रहें है। उसका आपको पाठ करना है और हां शरीर बंधन कर ले सुरक्षा घेरा भी लगा ले बस इतना जरूरी है इसके अलावा और कोई विशेष नियम नहीं है,

इसमें कोई भी विशेष नियम नहीं है शक्ति प्रत्यक्ष हो जाने के बाद आप उससे वचन ले ले, वचन के पश्चात आप उससे कभी बुला सकते हैं और कभी भी अपना कार्य मनचाह कार्य उससे करवा सकते हैं, अब जो इसका मूल मंत्र है,

मंत्र 

ओम दर्शे अदर्शे न्यासम हीर चुड़ैल प्रभाते दुहाई धुवावती मां की 

 

चुड़ैल का दोष मंत्र

विधि – इस मंत्र का जाप करते हुए झाड़ा करने से रोगी चुड़ैल सम्बन्धी समस्त दोषों से निदान पाता है और फिर से सामान्य जीवन जीने लगता है।

मंत्र – 
ॐ  नमो आदेश गुरु का।
कवलाछरी, बावन वीर ।
कलू बैठनो जल के तीर।
तीन पान का बीड़ा खबाऊं।
जेठे बैठा जतलाऊं।
मालीमर तोर गत बहाऊं।
वाचा चूके तो कंकाली की दुहाई।
मेरी भक्ति गुरु की शक्ति।
‘फुरो मंत्र ईश्वरो बाचा।

चुड़ैल साधना एवं सिद्धि का झाड़ा मंत्र

विधि – किसी एकान्त में रोगिणी को निर्वस्त्र करके नमक तथा पानी के साथ उपरोक्त मंत्र से झाड़ा करें

मंत्र –
ॐ पूर्व-पश्चिम, उत्तर-दक्षिण। चारि का स्वर्ग पाताल।
आंगन द्वार घर मंझार खाट बिछौना गड़ई सोवनार। 
सागलन औ जेववार। विरासो धावै फुलैल।
लबंग सोपारिजे महुँ तेल  अबटन उबटन औ अवनहान परिहरण।
लहंगा सारी जान। डोरा चोलिया चादर झीन।
मोट रुई ओढ़न झीन। शंकर गौरा क्षेत्रपाला। पहिले झारो बारम्बार ।
काजल तिलक लिलाट। आँखि  नाक कान कपार
महुँ चोटी कंठ अवकंस कांध बांह हाथ गोड़ अंगूरी नख धुकधुकी अस्थल 

नाभी पेटी के निचे जोनि चरणी कत भेटि पेठी करि दाव 
जांघ पेडुरी धूठी पावतर ऊसर अंगुरा चाम  रक्त मांस डांड गुदी धातु 
जो नहीं धडु अन्तरी कोठरी। करेज पित्त ही पित्त। जिय प्राण सब वित्त।
बात अंकमने जागु बड़े। नरसिंह की आनु कबहुं न लाग फांस।
पित्तर रांग कांच। लोहरूप सोन साच पाट पट वशन।
रोग जोग कारण। दीशन डीठि मूठि टोना।  थापक नवनाथ चौरासी सिद्ध के सराय।
डाइन योगिन चुरइन भूत व्याधि। परि अरि जेजुत मनै गोरख  नैन।
साथ प्रगटरे विलाउ । काली औ भैरव की हांक।फुरो मंत्र ईश्वरो बाचा।

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