डाकिनी शाकिनी का रहस्य | डाकिनी शाकिनी भगाने का मंत्र | डाकिनी शाबर मंत्र

डाकिनी दोष मंत्र | dakini devi Dosh Mantra

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डाकिनी शाकिनी का रहस्य

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डाकिनी कैसे बनती है

आखिर कौन है डाकिनी? कितनी शक्ति होती है इनमें?

क्या ये योगिनी तथा यक्षिनी आदि से भी अधिक शक्तिशाली होती हैं?

डाकिनी को प्रबुद्ध ऊर्जा, ज्ञान और करुणा का स्त्री अवतार माना जाता है. डाकिनी शब्द संस्कृत भाषा से लिया गया है जिसका उपयोग हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म तथा अन्य तांत्रिक परंपराओं में एक प्रकार की ऊर्जा के रूप में किया जाता है जो स्त्री रूप में है डाकिनी संस्कृत शब्द डाक से लिया गया है जिसका अर्थ आकाश या अंतरिक्ष है या सीधे-सीधे शब्दों में कहें तो ऐसी शक्ति जो डाक ले जाए अर्थात सोचने समझने की क्षमता को हर लेने वाली डाकनिया व्यक्तियों को अज्ञानता और भ्रम से मुक्त करने और उन्हें आध्यात्मिक जागृति के मार्ग पर डालती हैं!

कैसे हुई इनकी उत्पत्ति? शाकिनी क्या होती है!

हिंदू धर्म की विभिन्न शाखाओं में विशेष रूप से तंत्र शास्त्र में डाकिनी को देवी काली की सेविका के रूप में दर्शाया गया है मां काली से ही डाकनी की उत्पत्ति हुई है तंत्र विद्या में मां काली को भी डाकनी कहा जाता है यद्यपि डाकनी मां काली की शक्ति के सम्मिलित आने वाली एक अति रुद्र शक्ति है और इनका स्थान मूलाधार चक्र के ठीक केंद्र में माना जाता है यह प्राकृति की सर्वाधिक उग्र शक्ति है इन्हीं के कारण मां काली को अति उग्र देवी कहा जाता है इन्हें माया जात, जादू टोना, वशीकरण तथा आध्यात्मिक उन्नति के लिए सिद्ध किया जाता है,

डाकनी को महासिद्धियों और तांत्रिकों की अधिष्ठात्री कहा जाता है, जो आध्यात्मिक मुक्ति का मार्ग दिखाती हैं, माना जाता है, कहीं-कहीं ऐसा भी वर्णन है कि डाकनी को प्रसन्न कर लेने पर माता काली स्वयं भी प्रसन्न हो जाती हैं और उनकी उग्र और कल्याणकारी शक्ति साधक को प्राप्त हो जाती है, तंत्र में डाकिनी की साधना स्वतंत्र रूप से भी होती है और माना जाता है कि यदि डाकिनी सिद्ध हो जाए तो मां काली की सिद्धि आसान हो जाती है और मां काली की सिद्धि अर्थात मूलाधार की सिद्धि हो जाए, तो अन्य चक्र अथवा अन्य देवी देवता कम प्रयासों से ही सिद्ध हो जाते हैं,

परंतु माता काली से संबंधित इस डाकनी को सिद्ध करना सर्वाधिक कठिन है, बिना किसी गुरु को धारण किए इस सिद्धि को करने का प्रयास भी नहीं करना चाहिए, इसे अमानवीय शक्ति युक्त दिव्य प्राणी माना गया है, देवताओं के समान ही इनके पास अद्भुत शक्तियां होती हैं और यह जिस पर प्रसन्न होती हैं, उसका सभी कार्य करने के लिए सदैव तत्पर रहती हैं, योग शास्त्र में भी डाकनियों को शरीर में स्थित सूक्ष्म चक्रों की सिद्ध शक्तियां बताया गया है 

अलग-अलग चक्रों पर अलग-अलग डाकिनी शक्तियों का वास है डाकिनी नामक देवी की साधना अघोर पंथी तांत्रिकों की प्रसिद्ध साधना है

तांत्रिक साधना मुख्यतः दो प्रकार की होती है

1. दक्षिण मार्गी डाकनी साधना

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इसका यह रूप मां काली से ही संबंधित है और इसका एक रूप चिन्न मस्ता भी है तंत्र साधना में डाकिनी साधना बहुत अधिक प्रचलित साधना है ये शक्ति मूलाधार के शिवलिंग का भी मूलाधार है डाकनी की सिद्धि से किसी को नियंत्रित एवं वशीकरण करने की शक्ति आ जाती है, डाकनी शक्ति साधक की सुरक्षा और रास्ता भी दिखती है, यह डाकनी साधक के सामने लगभग महा काली के अवतार के रूप में उत्पन्न होती हैं, इनका स्वरूप अति उग्र हो जाता है, इस रूप में माधुर्य कोमलता का अभाव होता है,

2. वाम मार्गी डाकनी साधना

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तंत्र में एक और डाकिनी की साधना होती है, जो अधिकतर वाम मार्ग में सादित होती है, इसका स्वरूप सुंदर और मोहक होता है, यह पृथ्वी पर स्वतंत्र शक्ति के रूप में पाई जाती है, इसकी साधना अघोरियों और कपालिकों में अति प्रचलित है और सिद्ध हो जाने पर साधक के लिए बहुत सरल हो जाती है, यद्यपि साधना में चूक नहीं होनी चाहिए, इस शक्ति को केवल अपने अधीन किया जा सकता है, इसको नष्ट नहीं किया जा सकता, यह सदैव चारों ओर रहने वाली शक्ति है, जो व्यक्ति विशेष के लिए लाभदायक भी हो सकती है और हानिकारक भी, इसे नकारात्मक नहीं कहा जा सकता, किंतु यह नकारात्मक शक्ति ही होती है!

क्या डाकिनी कि साधना करनी चाहिए या नहीं?

डाकनी एक प्रबल शक्ति है, यह इतनी सक्षम है कि शुद्ध होने पर व्यक्ति की भौतिक और आध्यात्मिक दोनों ही आवश्यकताएं पूर्ण कर सकती है, डाकिनी को शमशान की देवी भी कहा जाता है, यह तामसिक भोग लगाती है और वह मृत्यु शरीर पर नाचती है, जब कोई साधक साधना करते हुए मूलाधार चक्र तक पहुंचता है, तब डाकिनी प्रकट होकर उसे डराती है,

यदि साधक अपनी साधना से विचलित ना हो तो वह रूपवती बनकर उसे अपनी ओर आकर्षित करने का प्रयास करती है, अगर डाकिनी आप पर प्रसन्न हो गई तो आपको दुनिया की हर कीमती चीज दे देगी और अगर वह क्षुब्ध हो गई तो आपको नष्ट कर देगी, इसीलिए डाकनी साधना सभी को नहीं करनी चाहिए!

डाकिनी कितने प्रकार कि होती है

बौद्ध धर्म में विभिन्न प्रकार की डाकनियों का वर्णन है

  • वज्र डाकनी यह सबसे प्रसिद्ध डाकनियों में से एक है और देवी वज्र योगिनी से जुड़ी हुई है वह अपनी शक्ति में नकारात्मक ऊर्जा को सकारात्मक ऊर्जा में बदलने की क्षमता के लिए जानी जाती है
  • कर्म डाकनी यह कर्म की शुद्धि और बाधाओं को दूर करती है वह आशीर्वाद और अभिषेक प्रदान करने की अपनी क्षमता के लिए भी जानी जाती है!
  • ज्ञान डाकिनी यह बुद्धि और ज्ञान से जुड़ी है यह आध्यात्मिक अंतर दृष्टि प्रदान करने की अपनी क्षमता के लिए जानी जाती है
  • वज्रवाराही डाकिनी यह देवता हेरुका की पत्नी से जुड़ी हुई हैं और अपनी परिवर्तनकारी ऊर्जा और आध्यात्मिक अनुभूति प्रदान करने की क्षमता के लिए जानी जाती हैं
  • सिंहमुख डाकिनी शेर मुखी ये डाकिने बुद्धिमत्ता के प्रतीक है उनकी दहाड़ विवेक पूर्ण विचारों को बिखेरती है परंतु स्वयं व उन्हीं विचारों से मुक्त हैं, वह नकारात्मक ऊर्जा और बाधाओं को दूर करने की क्षमता के लिए जानी जाती हैं,

इनके अतिरिक्त और भी कई डाकनियों का वर्णन हमें बौद्ध धर्म में मिलता है, बल्कि बौद्ध धर्म में ही इनका विस्तार से वर्णन है! मिलारेपा तिब्बत के एक महान साधक और योगी थे, उन्होंने डाकिनी साधना की थी, इसके बाद ही वे कैलाश पर्वत पर चढ़ पाए थे.

डाकिनी साधना कि अन्य जानकारी 

तांत्रिक परंपराओं में डाकनियों को शक्तिशाली और परिवर्तनकारी महिला ऊर्जा माना जाता है, जो व्यक्तियों में आध्यात्मिक चेतन जगाने में सक्षम है, उन्हें अक्सर यौन ऊर्जा से जोड़कर भी देखा भैरव तंत्र में डाकिनी के बारे में कुछ मंत्र दिए गए हैं, जो साधक को उनसे संबंधित अनुभवों को प्राप्त करने में सहायता करते हैं,

न मंत्रों में डाकिनी को तांत्रिक साधनाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली शक्ति के रूप में दिखाया गया है, डाकिनी साधना योग्य साधक के संरक्षण और दिशा निर्देशन में ही करनी चाहिए, क्योंकि इस साधना के बुरे परिणाम भी हो सकते. हैं, यदि साधना के माध्यम से किसी का अहित करने का उद्देश्य हो, तब भी इसके बुरे परिणाम ही प्राप्त होते हैं, यह संपूर्ण जानकारी हमने विभिन्न स्रोतों से एकत्रित की है!

डाकिनी शाबर मंत्र

विधि –  किसी निर्जन चौराहे पर या अपने निवास पर पूर्णत: निर्वस्त्र होकर आसन पर बैठें। मांस और मदिरा भोग के लिए रख लें। चर्बी का दीपक जलायें और इस मंत्र का पाठ करते रहें। जब दस मालायें हो जाएं तो अपने हाथों में पीली सरसों लेकर इस मंत्र से सिद्ध करके सभी दिशाओं में फेंक दें, और पुन: मंत्र का जाप आरम्भ कर दें तो आसपास की सभी डाकिनियां दौड़ती हुई आ जाएंगी।

मंत्र –  
ॐ स्यार की खवासिनी।
समन्दर पार धाई
आव बैठी हो तो आव 
ठाडी हो तो ठाडी आव 
जलती आ।
उछलती आ 
न आये डाकिनी तो जालंधर पीर की आना
शब्द सांचा।
पिण्ड कांचा।
फुरो मंत्र ईश्वरो वाचा ।

डाकिनी शाकिनी भगाने का मंत्र ( शाकिनी दोष निवारण )

विधि – इस मंत्र का उच्चारण करते हुए रोगिणी को सिर से पांव तक 108 बार झाड़ा करें।

मंत्र  –
 ॐ  नमो नारसिंह पार्डहार भस्मना।
योगिनी बन्ध। डाकिनी बन्ध।
चौरासी दोष बन्ध।
अष्टोत्तर शत व्याधि बन्ध।
खेदी खेदी, भेदी भेदी, मारे मारे,
सोखे सोखे, ज्वल ज्वल, प्रज्वल प्रज्वल।
नारसिंह वीर की शक्ति।
फुरो मंत्र ईश्वरो वाचा।

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