काल भैरव जयंती 2024: पूजा का शुभ मुहूर्त, विधि और राशि अनुसार अभिषेक का महत्व | Tantramantra - Tantra Mantra

काल भैरव जयंती 2024: पूजा का शुभ मुहूर्त, विधि और राशि अनुसार अभिषेक का महत्व | Tantramantra

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काल भैरव जयंती 2024: महिमा और महत्व

सनातन धर्म में काल भैरव जयंती का विशेष महत्व है। यह त्योहार भगवान काल भैरव, जो शिव जी के उग्र स्वरूप हैं, की पूजा के लिए समर्पित है। इस साल पंचांग भेद के कारण, कुछ लोग इसे 22 नवंबर को तो कुछ 23 नवंबर को मनाएंगे। इस दिन भगवान काल भैरव का जन्म माना जाता है और उनकी पूजा-अर्चना से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।


काल भैरव जयंती 2024 का शुभ मुहूर्त

22 नवंबर के मुहूर्त:

  • चर (सामान्य): सुबह 6:50 से 8:09
  • लाभ (उत्तम): सुबह 8:09 से 9:28
  • अमृत (स्वर्ण): सुबह 9:28 से 10:48
  • शुभ (उत्तम): दोपहर 12:07 से 1:27
  • लाभ (उत्तम): रात 8:46 से 10:27

23 नवंबर के मुहूर्त:

  • शुभ (उत्तम): सुबह 8:10 से 9:29
  • अमृत (सर्वोत्तम): दोपहर 2:46 से 4:05
  • लाभ (उत्तम): शाम 5:25 से 7:06

काल भैरव जयंती पूजा विधि

  1. मंदिर को साफ करें और जल से अभिषेक करें।
  2. भगवान शिव को पंचामृत और गंगाजल अर्पित करें।
  3. सफेद चंदन और फूल चढ़ाएं।
  4. दीपक जलाकर काल भैरव चालीसा का पाठ करें।
  5. भगवान शिव की आरती करें और खीर या मेवे का भोग लगाएं।
  6. अंत में क्षमा प्रार्थना करें।

राशि अनुसार शिव जी का अभिषेक

  • मेष: गुड़ मिश्रित जल
  • वृषभ: पंचामृत
  • मिथुन: गंगाजल
  • कर्क: दही
  • सिंह: गन्ने का रस
  • कन्या: गाय का दूध
  • तुला: शहद
  • वृश्चिक: गुड़ मिश्रित जल
  • धनु: कच्चा दूध
  • मकर: तिल का तेल
  • कुंभ: जल में काले तिल
  • मीन: गंगाजल

मुख्य बिंदु (Highlights)

  • भगवान काल भैरव शिव का उग्र स्वरूप हैं।
  • इस दिन उपवास करने से भैरव बाबा प्रसन्न होते हैं।
  • राशि अनुसार शिव जी का अभिषेक अत्यंत शुभ माना गया है।

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