तांत्रिक क्रिया का तोड़

तांत्रिक क्रिया का तोड़

निम्न लिखित तांत्रिक क्रिया का तोड़ का मंत्र बहुत प्रभावशाली है। Tantramantra.in एक विचित्र वेबसाइट है जो की आपके लिए प्राचीन तंत्र मंत्र सिद्धियाँ टोन टोटके पुरे विधि विधान के साथ लाती है. TantraMantra.in कहता है सभी तांत्रिक मित्रों को इन कार्यविधियों को गुरु के मध्य नज़र ही करना चाहिये। तथा इन इलमो को केवल अच्छे कार्य में ही इस्तेमाल करना चाहिए, अन्यथा आपको इसके बुरे परिणाम का सामना खुद ही करना होगा ।

निम्नलिखित तंत्र मंत्र प्राचीन तंत्र मंत्र साहित्यो से लिए गए हैं! जैसे इंद्रजाल, लाल किताब, शाबर मंत्र संग्रह इत्यादि|

 

तांत्रिक क्रिया का तोड़

मित्रों बहुत से ऐसे लोग हैं जो तंत्र का नाम सुनते ही डर जाते हैं। लेकिन तंत्र कोई डरने का चीज नहीं है और नहीं खेलने का तंत्र जितना अच्छा है उतना ही घातक है। इसमें इतनी ताकत है की इसके जरिए कुछ पल के लिए मुर्दों को भी जीवित किया जा सकता है। लेकिन इसका प्रयोग किस तरीके से करना है यह तांत्रिक के ऊपर निर्भर करता है।

 

अगर कोई ओझा, कोई सोखा, कोई तांत्रिक, कोई भगत अगर आपके ऊपर आने वाली शक्ति का बंधन कर दे तो आपके साथ में क्या क्या होता है, क्या क्या घटनाएं आपके साथ में और आपके परिवार के साथ में गठित होती है इसकी हम आज चर्चा करेंगे। 

इसके बारे में मैं आपको जानकारी दूंगा। देखिये मित्रों लोग साधनाएं करते हैं, मेहनत करते हैं, तपस्या करते हैं और व्रत करते हैं। कई कई दिनों की तब जा कर के किसी भगत को, किसी साधक को शक्ति प्राप्त होती है, सिद्धि प्राप्त होती है और उसकी उस सिद्धि को कोई तांत्रिक चुराले, कोई ओझा चुराले, कोई भगत चुराले, कोई सेवड़ा चुराले, तो कैसा लगता है उस साधक को वो ही बता सकता है। कितना खराब और कितना बुरा लगता है ये सिर्फ और सिर्फ उसकी आत्मा ही जानती है। मेहनत के द्वारा कमाई गई शक्ति को अगर कोई छीन ले तो बहुत बुरा लगता है, बहुत ज्यादा खराब लगता है। 

और आपको मैं मैं आपको बता दूं कि कई लोगों को तो दिव्य शक्तियां गार्ड गिफ्ट में प्राप्त होती है, कई लोगों के साथ में तो बचपन से ही शक्तियां होती हैं। देवी देवताओं की यक्षिणियां योगिनियां और बड़ी बड़ी शक्तियां कई लोगों को जन्मजात ही प्राप्त होती है। वो उनके पूर्व जन्मों की कमाई हुई साधना होती है। पूर्व जन्मों में मेहनत करके जो उन्होंने साधनाएं सिद्ध की होती है, बड़ी बड़ी शक्तियां अर्जित की होती है।

वही शक्तियां उन्हीं शक्तियों के द्वारा दिए गए वचन होते हैं जो वो अगले जन्म में भी, उस साधक के साथ में, उस भक्त के साथ में आती है। और जब वो साधक जन्म ले लेता है तो जन्म के साथ ही वो शक्तियां प्राप्त हो जाती है। 

और वो शक्ति बचपन से ही अपनी जो कार्य करने की उनकी जो प्रणाली होती है, वो शुरू कर देती है। बचपन से ही वो हमें मार्ग दर्शन देना शुरू कर देती है और वो हमें उसी लाइन में दुबारा से ले जाने लगती है जिस लाइन में वो व्यक्ति वो साधक व भगत वो पहले होता है

दोबारा से साधना के क्षेत्र में वो व्यक्ति खुद ब, खुद, वो मन से ही जन्म से ही वो बच्चा, जो होगा वो साधना के क्षेत्र में जाएगा, जन्म से ही वो पूजा पाठ, भक्ति में जाएगा और फिर से साधना करेगा, फिर से सिद्धि प्राप्त करेगा और जो कार्य उसका पूर्व जन्म पूर्व जन्म में अधूरा रह गया था, उसके कार्य को पूरा करेगा, फिर उसके बाद में भगवान में लीन हो जाएगा, तो इस प्रकार से शक्तियां रहती हैं 

और लोग साधना करके मेहनत से भी शक्ति अर्जित करते हैं। अब ऐसे में होता क्या है कि देखिए दुनिया में हर तरह के लोग हैं, अच्छे भी हैं, बुरे भी हैं। कई लोग ऐसे हैं जो आपकी उन्नति से बड़े ही प्रसन्न होते हैं और वो आपको और भी ज्यादा उन्नति प्राप्त करने का आशीर्वाद देते हैं। लेकिन कई लोग ऐसे होते हैं जो इर्शालू प्रकृति के होते हैं, वो आपकी उन्नति से आपकी प्रगति से जल जाते हैं और वो आपकी उन्नति को छीनने का प्रयास करना शुरू कर देते हैं। आपसे बदला लेने की कोशिश करने लगते हैं, आपसे अपनी शत्रुता निभाने लगते हैं। ऐसे में वो आपके ऊपर आने वाली शक्ति को छीन सकते हैं, आपके ऊपर आपके परिवार पर कोई तंत्र क्रिया करवा सकते हैं, कोई मारण का कर्म करवा सकते हैं, ताकि आपकी शक्ति छिन जाए और आपकी आपकी जो उन्नति है, प्रगति है, वो रुक जाए। 

तांत्रिक क्रिया के तोड़ का उपाए

विधि –इस मंत्र के प्रयोग से बंधन योग समाप्त हो जब कोई दुस्टग्रह पीछे पड़ जाये तो या कोई तांत्रिक बन्धन कर दे तो इस मंत्र का नवरात्र में  प्रतिदिन 21 बार जप करें। इस मंत्र के प्रभाव से बंधन योग समाप्त हो जाता  है और सुख-शांति की प्राप्ति होती है 

मंत्र –
ॐ नमोस्तुष्ते भगवते  पाशर्वचद्धाधरेन्द्
पद्मावती सहिताय मेउभीष्ट सिद्धि दुष्ट-
ग्रह भस्म भक्ष्य॑ स्वाहा। स्वामी
प्रसादे कुरू कुरू स्वाहा। हिलहिलि
मातंगनि स्वाहा। स्वामी प्रसादे कुरू कुरू स्वाहा। 

 

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