बंगाली मारण प्रयोग: शत्रु निवारण के तांत्रिक रहस्य और मंत्र विधि

बंगाली मारण प्रयोग: शत्रु निवारण का रहस्यमयी तांत्रिक उपाय

बगलामुखी शत्रु मारण मंत्र | बंगाली मारण प्रयोग

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प्रस्तावना

भारतीय तांत्रिक साधना में मारण प्रयोग एक विशेष स्थान रखता है। यह प्रयोग शत्रुओं की नकारात्मकता और उनके दुष्प्रभावों से बचाने के लिए किया जाता है। खासकर बंगाल की तांत्रिक परंपरा में कई ऐसे गुप्त और शक्तिशाली मंत्र-तंत्र बताए गए हैं, जिन्हें “बंगाली मारण प्रयोग” कहा जाता है। ये प्रयोग साधक को शत्रुओं पर विजय दिलाने, आत्मरक्षा करने और जीवन में शांति स्थापित करने में सहायक माने जाते हैं।


बंगाली मारण प्रयोग क्या है?

बंगाल क्षेत्र में प्राचीनकाल से तांत्रिक विद्या का गहरा प्रभाव रहा है। यहाँ दुर्गा साधना, तारा साधना, और अघोरी परंपरा से जुड़े कई मारण प्रयोग प्रसिद्ध हैं।
बंगाली मारण प्रयोग का उद्देश्य साधक को शत्रुओं के अन्याय और अत्याचार से मुक्ति दिलाना होता है।


प्रमुख विशेषताएँ

  • यह प्रयोग साधारण लोगों को नहीं, बल्कि योग्य और अनुभवी साधकों द्वारा किया जाता है।

  • इसमें विशेष मंत्र, यंत्र और हवन विधि का प्रयोग किया जाता है।

  • साधना प्रायः रात्रि, अमावस्या या विशेष तांत्रिक पर्व पर की जाती है।


बंगाली मारण मंत्र

बंगाल की तांत्रिक साधनाओं में कई मारण मंत्र प्रचलित हैं। इनमें से एक प्राचीन मंत्र इस प्रकार माना जाता है –

मंत्र
ॐ ह्लीं बगलामुखि सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिव्हां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्लीं ॐ स्वाहा।

👉 यह मंत्र विशेष रूप से शत्रु के अनिष्ट कार्यों को रोकने और उनकी नकारात्मक ऊर्जा को निष्क्रिय करने के लिए जपा जाता है।


प्रयोग की विधि

  1. साधक को शुद्ध होकर पीली आसन पर बैठना चाहिए।

  2. सामने पीली बगलामुखी देवी की मूर्ति या यंत्र स्थापित करें।

  3. पीले वस्त्र पहनकर, पीले चावल या हल्दी की माला से मंत्र का ११,००० जप करें।

  4. हवन में हल्दी की आहुति देना अत्यंत फलदायी माना जाता है।

  5. साधना पूर्ण होने पर शत्रु की शक्ति स्वतः क्षीण हो जाती है।


लाभ और प्रभाव

  • शत्रुओं से सुरक्षा और उनकी चालों का नाश।

  • मानसिक शांति और आत्मबल की प्राप्ति।

  • न्याय और धर्म की रक्षा।

  • साधक को जीवन में स्थिरता और सफलता।


सावधानियाँ

  • यह प्रयोग केवल योग्य गुरु के मार्गदर्शन में करना चाहिए।

  • इसका प्रयोग किसी निर्दोष व्यक्ति को कष्ट देने हेतु न करें।

  • साधना के दौरान मन, वचन और आचरण की शुद्धता बनाए रखना आवश्यक है।


निष्कर्ष

बंगाली मारण प्रयोग तांत्रिक साधना का एक महत्वपूर्ण अंग है, जो साधक को शत्रुओं से रक्षा प्रदान करता है। यह प्रयोग तभी सफल होता है जब साधक श्रद्धा, विश्वास और उचित विधि के साथ इसे करे। इस प्रयोग का उद्देश्य केवल आत्मरक्षा और धर्म की स्थापना होना चाहिए, न कि किसी को अनावश्यक हानि पहुँचाना।

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