शिव मंत्र लिस्ट: अघोरमंत्र साधना और शक्तियों की प्राप्ति
भगवान शिव के पांच मुखों (ईशान, तत्पुरुष, अघोर, वामदेव, सद्योजात) से समस्त मंत्रों एवं उपमंत्रों की उत्पत्ति मानी जाती है। इनमें से अघोर मुख की उपासना विशेष रूप से महत्वपूर्ण मानी गई है क्योंकि इससे समस्त विद्याएं और मंत्र स्वतः सिद्ध हो जाते हैं। अघोरमंत्र की सिद्धि के बाद शत्रुओं के किए गए अभिचारिक कर्म स्वतः नष्ट हो जाते हैं और गड़ा हुआ धन (निधि) खोजने में भी सहायता मिलती है। इस लेख में हम शिव मंत्रों की सूची (शिव मंत्र लिस्ट) और अघोरमंत्र साधना से संबंधित विधियों पर चर्चा करेंगे।
अघोरमंत्र ध्यान एवं साधना
अघोरमंत्र साधना के लिए पहले भगवान शिव के अघोर रूप का ध्यान किया जाता है। इस ध्यान मंत्र के माध्यम से आप भगवान शिव के उस रूप की कल्पना करते हैं जो सभी भय को समाप्त करता है।
अघोर शिव ध्यान मंत्र:
महाघोरमहाकर्णं चन्द्रसूर्याग्निलोचनम्।
संदंष्टं तं महाजिह्वमूर्ध्ववक्त्रं विचिन्तयेत्॥
इस ध्यान के बाद भगवान शिव के अघोरमंत्र का जप करें।
अघोरमंत्र:
ॐ अघोरेभ्योऽथ घोरेभ्यो घोर घोरतरेभ्यः सर्वतः सर्व सर्वेभ्यः नमस्तेऽस्तु रुद्ररूपेभ्यः।
इस मंत्र का नियमित जप करने से साधक को विशेष सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं।
शिव के पांच मुखों के मंत्र
भगवान शिव के पांच मुखों की पूजा के लिए निम्नलिखित मंत्रों का प्रयोग किया जाता है:
ईशान मुख मंत्र:
ॐ ईशानः सर्वविज्ञानामीश्वरः सर्वभूतानां ब्रह्माधिपतिर्ब्रह्मणोऽधिपतिब्रह्मा शिवो मे अस्तु सदाशिवोमम्।
तत्पुरुष मुख मंत्र:
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि। तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्।
अघोर मुख मंत्र:
ॐ अघोरेभ्योऽथ घोरेभ्यो घोर घोरतरेभ्यः सर्वतः सर्व सर्वेभ्य्यो नमस्तेऽस्तु रुद्ररूपेभ्यः।
वामदेव मुख मंत्र:
ॐ वामदेवाय नमो ज्येष्ठाय नमः श्रेष्ठाय नमो रुद्राय नमः कालाय नमः कलविकरणाय नमो बलविकरणाय नमो बलाय नमो बलप्रमथनाय नमः सर्वभूतदमनाय नमो मनोन्मनाय नमः।
सद्योजात मुख मंत्र:
ॐ सद्योजातं प्रपद्यामि सद्योजाताय वै नमो नमः भवो भवो नाथिभवे भवस्व मां भवोद्भवाय नमः।
अघोरमंत्र साधना विधि
अघोरमंत्र की सिद्धि के लिए शिव मंदिर में रुद्राक्ष माला से पांच लाख मंत्र जप करने की विधि बताई गई है। इसके बाद दशांश हवन षट्कोण कुंड में करने से साधना सिद्ध होती है। इस मंत्र की सिद्धि के बाद वीर साधक अस्त्र साधना आरंभ कर सकते हैं। साधक को पूरी तरह से ब्रह्मचर्य और विधिपूर्वक साधना करनी चाहिए, तभी उसे यह दुर्लभ शक्तियां प्राप्त होती हैं।
अस्त्र साधना मंत्र
अघोरमंत्र की सिद्धि के पश्चात साधक को विभिन्न अस्त्रों की प्राप्ति हो सकती है। यहां कुछ प्रमुख अस्त्र मंत्रों का उल्लेख किया जा रहा है:
ब्रह्मास्त्र मंत्र:
ॐ अघोरेरूपे श्रीब्रह्मि अवतर-अवतर ब्रह्मास्त्रं देहि मे देहि स्वाहा।
पावकास्त्र मंत्र:
ॐ अघोरेरूपे श्रीमाहेश्वरी अवतर अवतर पावकास्त्रं देहि मे देहि स्वाहा।
शक्तिअस्त्र मंत्र:
ॐ अघोरेरूपे श्रीकोमारी शक्तित शस्त्रं देहि मे देहि स्वाहा।
चन्द्रहास मंत्र:
ॐ श्रीवैष्णवि अवतर-अवतर खड़्गं देहि मे देहि स्वाहा।
वरुणास्त्र मंत्र-
“ॐ अघोरेरूपे श्रीवाराहि अवतर-अवतर वरुणास्त्रं देहि मे देहि स्वाहा।”
अघोर सिद्धि के पश्चात-
इस मंत्र के एक लाख जप करके साधक मछली के तेल से युक्त वरुण की लकड़ी के द्वारा होम करे। इससे वाराही देवी साधक को वरुणास्त्र प्रदान करती है। साधक के हाथों में इस अस्त्र को देखकर मेघगण पृथ्वी को जलमय कर देते हैं।
वज्रप्राप्ति मंत्र –
“ॐ अधोरूपे श्रीइन्द्राणि अवतर-अवतर वज्रं देहि मे देहि स्वाहा।”
अघोर सिद्धि के पश्चात-
वज्र मंत्र के एक लाख जप कर मनसा वृक्ष के पत्तों को दूध में भिगोकर उक्त मंत्र से होम करने से संतुष्ट होकर इन्द्राणी देवी कुण्ड में से वज्र प्रदान करती है। इस प्रकार अस्त्र प्राप्त धारण करके साधक भूमण्डल पर इन्द्र के समान शासन करता है।
निष्कर्ष
शिव मंत्र लिस्ट में अघोरमंत्र और अन्य महत्वपूर्ण मंत्र साधकों को विशेष सिद्धियाँ और शक्तियाँ प्राप्त करने में सहायता करते हैं। इन मंत्रों की साधना योग्य गुरु के मार्गदर्शन में ही करनी चाहिए। सही ढंग से की गई साधना से शत्रुओं का नाश और जीवन में विजय प्राप्त हो सकती है।