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शक्तिशाली सूर्य मंत्र इस प्रकार है। आपको नित्य स्नानादि करके इस मंत्र का 108 जाप करना है
मंत्र
ॐ सुर्या हिर्णायुकम : प्रम: भाकितम :
उध्द्दारकम ; “जगत प्राणम:
जय: सुर्या देवम : नमन: नमन:
सूर्य मंत्र का अर्थ
योग में मन और आत्मा को एकाग्र करने के लिए मंत्रों का उपयोग किया जाता है। यह प्रणायाम और ध्यान केंद्रित करने में भी मदद करता है। हिंदू धर्म में सूर्य देवता की पूजा करने के लिए शक्तिशाली सूर्य मंत्र का उच्चारण किया जाता है। सूर्य सबसे शक्तिशाली ग्रहों में से एक है, क्योंकि यह मौसम पर राज
करता है। यह मनुष्य जाती के भोजन आपूर्ति के लिए फसल की पैदावार करता है। इसके अलावा और भी कई कारणों से सूर्य देव की पूजा की जाती। यह मान्यता है कि सूर्य देव प्रकाश और ऊर्जा के प्रदाता हैं। यह भी प्रचलित है कि सूर्य देव एकमात्र ऐसे देव हैं जिन्हें हम अपनी नग्न आंखों से देख सकते है जो लोग नियमित रूप से सूर्य मंत्र का उच्चारण करते हैं, सूर्य देव उनके जीवन से अंधकार को दूर करते हैं।
सूर्य बीज मंत्र
दूसरा शक्तिशाली सूर्य मंत्र इस प्रकार है:
मंत्र –
ओं घृणि सूर्य आदित्य ।
शक्तिशाली सूर्य मंत्र: कैसे मदद करता हैं ?
सूर्य देव का आशीर्वाद पाने के लिए मनुष्य इस मंत्र का उच्चारण करते हैं। सूर्य देव अपने भक्तों के अशांत मन को शांत करते हैं और उनकी जिंदगी में सकारात्मकता लाते हैं। ज्योतिष में कई सूर्य मंत्र हैं। प्रत्येक मंत्र का अपना अर्थ और प्रभाव है। हालांकि, सभी मंत्र मन की शांति और जीवन में समृद्धि को बढ़ावा देते हैं। इसके अलावा नियमित शक्तिशाली सूर्य मंत्र का उच्चारण करने से
बेहतर स्वास्थ्य लाभ होता है और इससे भक्ति के प्रति उनकी आस्था बढ़ती है। यह जातक को ब्रह्मांड के प्रति आभार व्यक्त करने और उन्हें स्वास्थ्य तथा शांति का भंडार बनने में मदद करता है। इसका अर्थ यह है कि सूर्य देव एकमात्र ऐसे भगवान हैं, जो रोगों को दूर करते हैं और पूरी दुनिया को पुनर्जीवित करेंगे। इसी वजह से प्रत्येक व्यक्ति को धन, स्वास्थ्य और लंबी आयु के लिए सूर्य देवता का ध्यान करना चाहिए।
मंत्र का उच्चारण करते समय धियान रखने योग्या बाते
सूर्य उदय के पश्चात जितना हो सके उतना जल्दी सूर्य देव के मंत्र का जाप करे धियान रहे मंत्र का उच्चारण स्पष्ट करे और मन मई किसी भी तरह का गलत विचार न रखे धियान रहे जो भी व्यक्ति इस मंत्र का उच्चारण करे वो सदैव ही सकारात्मकता विचारो और सकारात्मकता लोगो को ही अवशोषित करे
- सूर्य देव का दिन रविवार का होता है इसलिए इस मंत्र का जाप रविवार से ही आरम्भ करे
- इसका उच्चारण अपने मन को शांत करके और पूर्व की और मुख करके करना चाहिए
- सूर्य देव की पूजा करते समय एक लोटा जल और कुमकुम रखना चाहिए
- पूजा में ताजे फूल और दूप का प्रयोग करे इससे पूजा में धियान केंद्रित करने में असानी होगी
- सूर्य देव के मंत्र का उच्चारण करते समय किसी के प्रति ईर्ष्या या क्रोध न रखे इससे पूजा सफल नहीं होगी
सूर्य देव के दोष के लिए
निवारण – सूर्यदेव के दोष के लिए खीर का बनाओ और प्रतिदिन जहां चींटी का घर बना हो वहां पर रख कर आओ और एक केला छील कर जब वापिस आओ तभी गाय को खीर और केला खिलाओ। जल और गाय के दूध को मिलाओ और सूर्यदेव को चढ़ाओ, जल जब चढ़ाओ जल सिर से ऊपर से चढ़ाओ जो सूर्य की किरणें मस्तिष्क को प्रवाहित कर सके। ऐसा करने से सूर्य दोष शान्त हो जायेगा।
अथवा
निवारण -सुबह उठकर स्नान कर के पूजा करके जल का लोटा भरकर प्रतिदिन सवा महीने तक सूर्यदेव को सर के ऊपर से जल चढ़ाओ जो कि सूर्य की किरणें शरीर को छू सके और फिर जहाँ पर भी जल चढ़ाया हो वहां पर सवा मुट्ठी साबुत चावल चढ़ा देवें यह विधि करने से सूर्य दोष दूर होगा और भाग्य भी उदय हो जायेगा।
सूर्य की नरम दृष्टि हेतु
कमल के फूल पर प्रतिदिन दूध के छींटे लगाओ और कमल की पखंडी अपने पास घर में ही रखें नौ दिन तक यह कार्य करने के बाद सूर्य देव के सामने जल चढ़ावें और जिस समय सूर्य निकले उस समय जौ 21 ग्राम किसी भी कच्ची जमीन में डालकर पानी का छींटा लगा देवें इस विधि के करने से सूर्यदेव की दृष्टि मनुष्य पर नर्म हो जायेगी।
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