माँ काली ध्यान मंत्र: महाकाली की साधना और पंचोपचार पूजा विधि
1. माँ काली के पंचोपचार मंत्र:
1- ॐ क्लीं भगवत्यै कामकलाकाल्यै गन्धं समर्पयामि नमः।
2- ॐ क्लीं भगवत्यै कामकलाकाल्यै पुष्पं समर्पयामि नमः।
3- ॐ क्लीं भगवत्यै कामकलाकाल्यै धूपं आग्रापयामि नमः।
4- ॐ क्लीं भगवत्यै कामकलाकाल्यै दीपं दर्शयामि नमः।
5- ॐ क्लीं भगवत्यै कामकलाकाल्यै नैवेद्यं निवेदयामि नमः।
विनियोग मंत्र: “ॐ अस्य श्रीकामकलाकालीमन्त्रस्य महाकाल ऋषिः, वृत्ति छन्दः, कामकलाकाली देवता, क्लीं बीजं, हूं शक्तिः। भगवती कामकलाकाली प्रीत्यर्थे जपे विनियोग।”
स्त्रियों का सम्मान और अनुष्ठानकाल में सेवा: माँ काली के साधक को कभी भी किसी स्त्री या कन्या का निरादर नहीं करना चाहिए। स्त्रियों की सेवा और सहायता को सदैव तत्पर रहना चाहिए, क्योंकि समस्त स्त्री समाज भगवती का ही अंश है। अनुष्ठानकाल में असहाय स्त्रियों की सेवा करने से भगवती शीघ्र प्रसन्न होती हैं।
रात्रिकाल में दीपक प्रज्वलित करने से लाभ: नित्य रात्रिकाल में 21, 31, 41, या 51 सरसों के तेल के दीपक प्रज्वलित कर भगवती काली को अर्पित करने से साधना में विशेष लाभ प्राप्त होता है।
श्मशान या काली मंदिर में पूजा: श्मशान या काली मंदिर में भगवती काली की प्रतिमा या मूर्ति की पुनः प्रतिष्ठा, रंगीन वस्त्र, आभूषण, त्रिशूल, और नैवेद्य अर्पित करने से भगवती का कृपा प्रसाद प्राप्त होता है।
सच्चे गुरु से साधना और दीक्षा का महत्व: सच्चे गुरु के मार्गदर्शन में एक अटल साधक माँ काली को प्रसन्न कर सकता है, बिना किसी हिंसा या जीवहत्या के। दक्षिणमार्ग से दीक्षा लेकर साधना की सफलता प्राप्त होती है, जिसमें साधक को दिव्य अनुभव प्राप्त होते हैं।
सिद्धपीठ या स्वच्छ स्थान पर साधना: सिद्धपीठ या निवास स्थल के एकांत एवं स्वच्छ स्थान पर माँ काली की प्रतिमा या यंत्र की प्राणप्रतिष्ठा कर गुरु से गुप्त नियमों की जानकारी प्राप्त कर साधना शुरू करनी चाहिए। साथ ही काली कवच का पाठ अनिवार्य है और मृत्युंजय या क्रोध भैरव का जप करना भी आवश्यक होता है।
होमद्रव्य और विशेष लाभ: मंत्र को ऊर्जावान करने हेतु दशांश होम किया जाता है। विभिन्न वस्तुओं से हवन का भिन्न-भिन्न फल प्राप्त होता है। जैसे:
- घी और मधु से मालती के पुष्प: बृहस्पति से भी अधिक वागीश्वरत्व प्रदान करता है।
- जूही के फूल: राजा को वश में करते हैं।
- नागकेसर के साथ जूही के फूल: मेघवृद्धि और राजलाभ प्राप्त होता है।
- माधवी के फूल: पृथ्वीप्राप्ति, चमपा के फूल से स्वर्णलाभ, और मल्लिका से धनलाभ मिलता है।
- जपापुष्प: शत्रुओं का विनाश करता है।
- कमल के फूल: आयु वृद्धि करते हैं।
- कदम्ब के फूल: व्याधिनाश और कवित्व लाभ प्रदान करते हैं।
विभिन्न फल और उनका प्रभाव:
- श्रीफल (बेल): लक्ष्मी प्राप्ति होती है।
- नारंग (नारंगी): सौंदर्य प्रदान करती है।
- कटहल: काल्त्रमान में वृद्धि करता है।
- नारियल: वशीकरण में उपयोगी होता है।
- नींबू: शत्रुनाश करता है।
- आम: राजलाभ देता है।
- जामुन: रक्तभ्रम दूर करता है।
- केला: सर्वसिद्धि प्राप्त होती है।
- कपित्थ (कैथ): शत्रु का उच्चाटन करता है।
- खिरनी: पुत्रलाभ देता है।
- अश्वत्थ (अंगूर): मोक्ष प्रदान करता है।
- गूलर: धर्मप्राप्ति कराता है।
- वट: संतानसिद्धि दिलाता है।
- जायफल: तीनों लोकों को वश में करता है।
- कृष्णमुण्ड: ग्रहशांति प्रदान करता है।
- आँवला: वृद्धि कराता है।
- जम्बीरी नींबू: धन में वृद्धि करता है।
- बड़हिं: मारण साधना में उपयोगी होता है।
- महुआ: अधिक लक्ष्मी प्रदान करता है।
- कर्दम (करोंदा): बल की उन्नति करता है।
- सिंदूर: मोहन में उपयोगी है।
- बिल्वपत्र (पान): लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।
- दूध से बने पदार्थ: अन्न और जीवन सिद्धियाँ प्रदान करते हैं।
- मातूलुंग या पुदी: क्रमशः लक्ष्मी और विद्या का लाभ होता है।
निष्कर्ष: माँ काली की साधना में मंत्र, होम, और विशेष सामग्री का उचित उपयोग साधक को आध्यात्मिक और भौतिक उन्नति प्रदान कर सकता है। सही गुरु के मार्गदर्शन में यह साधना माँ काली की कृपा प्राप्त करने का श्रेष्ठ मार्ग है। “माँ काली ध्यान मंत्र” के माध्यम से साधक को समस्त सिद्धियाँ प्राप्त हो सकती हैं, जो जीवन में अद्वितीय लाभ देती हैं।