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ज्योतिष शास्त्र में मंगल ग्रह को शक्ति, साहस, ऊर्जा और संघर्ष का प्रतीक माना जाता है। यह ग्रह व्यक्ति की इच्छाशक्ति, शारीरिक ऊर्जा और आत्मविश्वास को प्रभावित करता है। अगर मंगल ग्रह कुंडली में शुभ स्थिति में हो तो यह व्यक्ति को साहसी और ऊर्जावान बनाता है, लेकिन अशुभ स्थिति में यह व्यक्ति को आक्रामक और दुर्घटनाओं का शिकार बना सकता है। इस ब्लॉग में हम मंगल ग्रह के प्रभावों और उसे प्रसन्न करने के 10 प्रभावी उपायों पर चर्चा करेंगे।
Table of Contents
Toggleमंगल ग्रह के प्रभाव
शुभ प्रभाव
- शारीरिक शक्ति और साहस: शुभ मंगल व्यक्ति को शारीरिक रूप से मजबूत और साहसी बनाता है।
- आत्मविश्वास में वृद्धि: मंगल की शुभ स्थिति आत्मविश्वास और दृढ़ संकल्प को बढ़ाती है।
- उत्साह और ऊर्जा: मंगल की कृपा से व्यक्ति में उत्साह और ऊर्जा का संचार होता है।
- विकास और उन्नति: शुभ मंगल व्यक्ति के पेशेवर और व्यक्तिगत जीवन में विकास और उन्नति लाता है।
- रक्षा और सुरक्षा: मंगल ग्रह व्यक्ति की रक्षा करता है और उसे सुरक्षा प्रदान करता है।
अशुभ प्रभाव
- आक्रामकता और क्रोध: अशुभ मंगल व्यक्ति को आक्रामक और क्रोधी बना सकता है।
- दुर्घटनाएं: मंगल की अशुभ स्थिति दुर्घटनाओं और चोटों का कारण बन सकती है।
- स्वास्थ्य समस्याएं: अशुभ मंगल से स्वास्थ्य समस्याएं, विशेष रूप से रक्त से संबंधित बीमारियां हो सकती हैं।
- विवाद और संघर्ष: मंगल की अशुभ स्थिति विवाद और संघर्ष को बढ़ावा देती है।
- वित्तीय समस्याएं: अशुभ मंगल से व्यक्ति को वित्तीय समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
मंगल ग्रह को प्रसन्न करने के उपाय
1. हनुमान चालीसा का पाठ
मंगल ग्रह को प्रसन्न करने के लिए हनुमान चालीसा का पाठ करें। हनुमान जी को मंगल का देवता माना जाता है और उनकी पूजा से मंगल ग्रह की अशुभता को कम किया जा सकता है।
2. मंगल मंत्र का जाप
मंगल ग्रह के मंत्र “ॐ अंगारकाय नमः” का नियमित जाप करना चाहिए। यह मंत्र मंगल की कृपा प्राप्त करने में सहायक होता है।
3. लाल वस्त्र धारण करना
मंगल ग्रह से संबंधित रंग लाल होता है। मंगलवार के दिन लाल वस्त्र धारण करना मंगल को प्रसन्न करने का एक प्रभावी उपाय है।
4. मसूर की दाल का दान
मंगलवार के दिन मसूर की दाल का दान करना मंगल ग्रह को प्रसन्न करने का एक उत्तम उपाय है।
5. हनुमान मंदिर में तेल चढ़ाना
मंगलवार के दिन हनुमान मंदिर में जाकर हनुमान जी को सरसों का तेल चढ़ाना चाहिए। इससे मंगल ग्रह की कृपा प्राप्त होती है।
6. लाल चंदन का तिलक
मंगलवार के दिन लाल चंदन का तिलक लगाना मंगल को प्रसन्न करने का एक प्रभावी उपाय है।
7. मंगल यंत्र की स्थापना
घर में मंगल यंत्र की स्थापना और उसकी नियमित पूजा करने से मंगल ग्रह की कृपा प्राप्त होती है। यह उपाय विशेष रूप से लाभकारी है।
8. रक्तदान
मंगल ग्रह को प्रसन्न करने के लिए रक्तदान करना एक उत्तम उपाय है। इससे मंगल ग्रह की अशुभता को कम किया जा सकता है।
9. लाल पुष्प चढ़ाना
मंगलवार के दिन भगवान हनुमान या मंगल देवता को लाल पुष्प चढ़ाना चाहिए। इससे मंगल ग्रह की कृपा प्राप्त होती है।
10. मांसाहार का त्याग
मंगलवार के दिन मांसाहार का त्याग करना और शुद्ध शाकाहारी भोजन ग्रहण करना मंगल को प्रसन्न करने का एक महत्वपूर्ण उपाय है।
निष्कर्ष
मंगल ग्रह की कृपा प्राप्त करने के लिए इन उपायों को नियमित रूप से अपनाना चाहिए। मंगल ग्रह को प्रसन्न करने के ये उपाय व्यक्ति के जीवन में साहस, ऊर्जा, और आत्मविश्वास लाने में सहायक होते हैं। इन उपायों को अपनाकर मंगल के अशुभ प्रभावों से मुक्ति पाई जा सकती है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार किया जा सकता है।
प्रश्न और उत्तर
प्रश्न: मंगल ग्रह को प्रसन्न करने के लिए कौन से उपाय सबसे प्रभावी हैं? उत्तर: मंगल ग्रह को प्रसन्न करने के लिए हनुमान चालीसा का पाठ, मंगल मंत्र का जाप, लाल वस्त्र धारण करना, मसूर की दाल का दान, हनुमान मंदिर में तेल चढ़ाना, लाल चंदन का तिलक, मंगल यंत्र की स्थापना, रक्तदान, लाल पुष्प चढ़ाना, और मांसाहार का त्याग सबसे प्रभावी उपाय हैं।
प्रश्न: मंगल मंत्र का जाप कब और कैसे करना चाहिए? उत्तर: मंगल मंत्र “ॐ अंगारकाय नमः” का जाप प्रातः काल या संध्या समय में शुद्ध और शांत स्थान पर बैठकर करना चाहिए। जाप के समय ध्यान मंगल देव पर केंद्रित रखना चाहिए।
प्रश्न: मंगल ग्रह के अशुभ प्रभाव को कम करने के उपाय करने से क्या लाभ होते हैं? उत्तर: मंगल ग्रह के अशुभ प्रभाव को कम करने के उपाय करने से व्यक्ति के जीवन में साहस, ऊर्जा, और आत्मविश्वास का संचार होता है। इससे मानसिक तनाव, वित्तीय समस्याओं, और स्वास्थ्य संबंधी कठिनाइयों का निवारण होता है।
मंगल को अनुकूल करने के लिए टोटके
मंगल ग्रह यदि प्रतिकूल या अनिष्ट फल प्रदर्शित कर रहा हो, तो इस अनिष्ट के निवारण के लिए अथवा मंगल को अपने अनुकूल करने के लिए निम्न टोटकों का प्रयोग करना चाहिए-
टोटके – 1 किसी भी मंगलवार को सोने के ताबीज में अनंतसूल की जड़ भरकर लाल रंग के सूती धागे से बांधकर पहने।
टोटके – 2 सोने की अंगूठी, गाय के दूध में डुबोकर मंगलवार को प्रातःकाल सूर्योदय के समय धारण करें। इस बात का ध्यान रखें कि यह अंगूठी अनामिका उंगली में धारण की जाती है।
मंगल ग्रह को खुश करने के सरल एवं अचूक उपाय
- मंगलवार के दिन हनुमान मन्दिर में जाया करें।
- मिठाई दान करें।
- मृगछाला का इस्तेमाल करें।
- रेवड़ियां और बताशे पानी में बहाएं।
- सफेद सुरमा आंखों में लगाएं।
- मंगलवार के दिन मसूर की दाल का इस्तमाल न करे |
- शनि का उपाय करे।
- मूंगा धारण करने से भी मंगल उच्च होता है
- रोटी में गुड़ लगाकर कुत्ते को खिलाये।
- दान धर्म में रूचि रखे और सदा ही आस्तिक बने रहे
मंगल का शुभ/अशुभ फल
मंगल एक तो ऐसे ही हिंसात्मक है और जब यह कुंडली के छठे और ग्यारहवें हिंसात्मक घरों का मालिक बन जाए और साथ ही अगर केतु अधिष्ठित राशि का मालिक भी हो तो फिर मंगल से बढ़कर हिंस़ा का द्योतक और कोई ग्रह नहीं हो सकता। अब अगर ऐसे मंगल का प्रभाव मन पर पूर्ण हो अर्थात् चौथे घर चन्द्रमा आदि पर सभी पर हो तो मन में इतनी हिंसा की तृत्ति प्रबल हो जाती है। ऐसी कुण्डली बाला व्यक्ति किसी की हत्या तक भी कर सकता है।
मंगल को दसवें घर में दिग्बल की प्राप्ति होती है (बुध और बृहस्पति लग्न (पहले घर) में रहने पर, चंद्रमा और शुक्र चौथे घर में रहने पर, शनिसातवें घर में रहने पर तथा सूर्य और मंगल दसवें घर में मौजूद रहने पर दिग्बली होते हैं)। इसलिए दसवें से सातवें अर्थात् चौथे घर में नीच राशि कर्क में स्थित हो तो और भी शक्तिहीन होकर चौथे तथा पहले घर को नुक्सान पहुँचाएगा। ऐसे जातक को छाती के कोई-न-कोई रोग, जैसे अस्थमा (दमा), क्षय आदि की संभावना
रहती है। विशेषतया ऐसी हालत में जबकि मंगल घर कोई शुभ दृष्टि भी न हो। लग्न उसका मालिक, आठवां घर और उसका मालिक पर पड़ने वाला प्रभाव मृत्यु के ढंग को बतलाता है, अत: यदि इन सब पर मंगल का प्रभाव हो विशेषतया तब जबकि मंगल केतु अधिष्ठित राशि का स्वामी हो या छठे या ग्यारहवें घर का स्वामी या मालिक हो, तो ‘ऐसे जातक की मृत्यु हत्या द्वारा संभावित है। उस समय तो अवश्य जब दूसरे और आठवें घर के स्वामी का भी मृत्यु लाने में हाथ हो।
मंगल हिंसाप्रिय क्रूर ग्रह है। यह जिस घर पर भी प्रभाव डालता है, उस पर चोट लगती है। केतु भी मंगल की तरह से चोट करता है। जन्मकुंडली में छठा घर चोट से संबंधित है। ग्यारहवां घर भी छठे ही की भौंति चोट देने वाला है, अत: जब मंगल केतु; इनके द्वारा अधिष्ठित राशियों के स्वामी, षष्ठेश (छठे घर का स्वामी) और एकादशेश (ग्यारहवें घर का स्वामी) किसी भाव तथा भावाधिपति पर अपना पूरा प्रभाव डाल रहे हों तो वो भाव जिस अंग का प्रतिनिधि हो, शरीर के उस अंग पर चोट लगती है। श्री हनुमान जी की पूजा आदि इसमें लाभ करती है।
कुछ खास जानकारियाँ
मंगल में अन्य ग्रहों की अपेक्षा एक बहुत ही खास बतत है। यह अपना अच्छा असए दिखाते-दिखाते जब कभी बुरा असर करता है, तो उसकी चाल में अचानक बहुत तेजी आ जाती है। फिर तेज चाल से यह बुरा असर डालना शुरू कर देता है। जब तक इसके मन्दे असर को रोकने के लिए कोई उपाय ‘किया जाए; तब तक यह इतना भारी नुकसान कर देगा, जिसकी भरपाई करने में बहुत लम्बा वक्त गुजर जाएगा, कभी-कभी तो इसके मन्दे असर को रोकना ही नामुमकिन .हो जाता है। लाल किताब के लेखक का मत है कि इसके मन्दे असर को चन्द्र की मदद से दूर किया जा सकता है।
मंगल ग्रह का प्रभाव और उपाय
- मंगल के बारे में यह कहा जाता है कि यह मेष लग्न वाले इंसान की आयु का पूर्ण प्रतिनिधि होता है, क्योंकि उसका पहला और आठवां दो आयु जगह पर अधिकार हो जाता है । ऐसा मंगल यदि शनि आदि पापी ग्रहों के प्रभाव में हो तो यह आयु की अल्पता का द्योतक होता है। ऐसी हालत में आयु बढ़ाने के लिए मंगल को बलवान् करना आवश्यक हो जाता है।
- मंगल को मजबूत करने के लिए, मंगल का रत्न मूंगा पहन ना चाहिए और शनि आदि जो पाप ग्रह मंगल पर प्रभाव डाल रहे हों, उनके मंत्र का जाप आदि कराकर, उनकी शांति करनी चाहिए। यदि वृश्चिक लग्न में चन्द्र मौजूद हो तो मंगल पूरी तरह से रक्त का प्रतिनिधि होता है। ऐसी हालत में अगर मंगल पर शनि और राहु का प्रभाव हो तो समझ लेना चाहिए. कि जातक के खून में मलिनता आदि रोग पैदा होंगे। रक्त की सफाई के लिए मंगल का बलवान् होना बहुत जरूरी है और इसके लिए चौंदी की अँगूठी में मूंगा लगवाकर पहना जा सकता है। शनि और राहु की शांति का निवारण वैदिक या धार्मिक विधि से करना चाहिए ।
- यदि मंगल लग्नेश (लग्न का स्वामी) हो और छह, आठ या बारहवें घर में स्थित हो और उस पर सिर्पा पापी दृष्टि हो और किसी शुभ ग्रह की युति अथवा दृष्टि का प्रभाव इस पर न हो तो जातक के पुदठे सूख जाते हैं और किसी भी औषधि से यह रोग दूर नहीं होता। इसके लिए चांदी की अँगूठी में मूंगा पहनना चाहिए। यह उपाय रोग को दूर करने में सक्षम होता है। यदि मंगल का युति अथबा दृष्टि संबंध पहला घर और उसका मालिक, चौथा घर और उसका मालिक तथा चंद्र से हो तो ऐसे जातक का मन अतीब हिंसक होगा। अतः ऐसे मंगल की शांति हनुमान जी के स्त्रोत्र पाठ आदि के द्वारा की जानीं चाहिए।
- जब मंगल पहले घर का मालिक हो और चौथे घर में नीच का हो तो जातक को छाती आदि के रोग की समस्या होती है तथा धन का नाश भी संभव होता है। इसके लिए भी चांदी की अँगूठी में मूंगा लगवाकर धारण करना लाभदायक रहता है। इस प्रक्रिया से उम्र, सेहत और दौलत का कभी नाश नहीं होता अथवा इन तीनों में लाभ ही लाभ होता है।
- यदि मंगल और केतु का मिलाप या उनकी टष्पट का प्रभाव पांचवें
- और उसके स्वामी और बृहस्पति पर हो तो जातक के पुत्रों की मौत या उनके अभाव का कारण बनता है और यदि पांचवें घर का स्वामी बलवान् होकर पीड़ित हो तो पुत्रों की मृत्यु तक संभव हो जाती है। पुत्र-मरण के
- दोष दूर करने के लिए जहाँ पांचवें घर के मालिक (स्वामी) को रत्न आदि धारण करने. से बलवान् करना अभीष्ट होगा, वहाँ मंगल के उपाय के लिए श्री हनुमान जी की पूजा-अर्चना कौ जानी चाहिए।
- सातवां घर पुरुष की जन्मकुंडली में स्त्री का और स्त्री की कुंडली में पुरुष का होता है। पुरुष के सातवें घर का कारक अर्थात् स्त्री का कारक शुक्र होता है और स्त्री के सातवें घर का कारक अर्थात् पति का कारक बृहस्पति होता है। जब सातवां घर, उसका मालिक और शुक्र पीड़ित हों तो पुरुष की स्त्री (पत्नी) की मृत्यु का योग बनता है और जब स्त्री की कुंडली में सातवां घर, सातवें घर का मालिक और बृहस्पति पीड़ित हों रहा हो तो उस स्त्री के पति की कम होकर, उसके लिए (विधवा) होने का योग बनता है।
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