बृहस्पति मंत्र | बृहस्पति ग्रह का उपाय | बृहस्पति ग्रह के दोष - Tantra Mantra

बृहस्पति मंत्र | बृहस्पति ग्रह का उपाय | बृहस्पति ग्रह के दोष

बृहस्पति मंत्र
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निम्न लिखित बृहस्पति मंत्र बहुत प्रभावशाली है। Tantramantra.in एक विचित्र वेबसाइट है जो की आपके लिए प्राचीन तंत्र मंत्र सिद्धियाँ टोन टोटके पुरे विधि विधान के साथ लाती है. TantraMantra.in कहता है सभी तांत्रिक मित्रों को इन कार्यविधियों को गुरु के मध्य नज़र ही करना चाहिये। तथा इन इलमो को केवल अच्छे कार्य में ही इस्तेमाल करना चाहिए, अन्यथा आपको इसके बुरे परिणाम का सामना खुद ही करना होगा ।

कुदरती टोटके जो मनुष्य पढ़कर खुद करेगा उसी का कार्य पूर्ण होगा और जो दूसरे को पढ़कर बतायेगा जिसको बतायेगा उसका कार्य नहीं होगा, जो पढ़ेगा और बिना किसी व्यक्ति को बताये करेगा उसी का कार्य सम्पूर्ण होगा।

निम्नलिखित तंत्र मंत्र प्राचीन तंत्र मंत्र साहित्यो से लिए गए हैं! जैसे इंद्रजाल, लाल किताब, शाबर मंत्र संग्रह इत्यादि|

गुरु बृहस्पति को प्रसन्न करने के उपाय

यदि पापी बृहस्पति ग्रह को अनुकूल करने के अचूक उपाय का फल नीच हो रहा हो तो बृहस्पति का फल भी नीच हो जाता है। बाप-दादा या ब्राह्मण का अपमान करने से भी बृहस्पति नीच हो जाता है, यदि बृहस्पति की पहचान है, चोटी के स्थान पर सिर के बाल उड़ जाएं, गले में माला डाले रखें, सोना खो जाए या चोरी चला जांए। झूठी अपवाहें फैलें या शिक्षा बन्द हो जाए।

  • मन्दे बृहस्पति से बचने के लिए नदी में तेल, बादाम या नारियल इनमे से कोई एक वस्तु प्रवाहित करें।
  • गले में सोना डाले रखें।  
  • केसर का तिलक लगाएं, अथवा केसर खाएं।
  • नाक साफ करके काम शुरू करें।
  • बृहस्पति की चीजें; जैसे सोना, पुखराज, कांस्य-पात्र, खांड (चीखी), शुद्ध घी, पीला रंग, चने की दाल, हल्दी या पुस्तक आदि का दान में देना चाहिए 
  • चने की दाल दान धर्म में यकीन रखे 
  • नियमयित रूप से भगवन शिव की पूजा करे। 
  • रोजाना हल्दी केसर वाला दूध पीना सुरु करदे।
  • बृहस्पति के मित्र ग्रह की वस्तु मंदिर में दान करे। 
  • सोने का चकोर टुकड़ा अपने पर्स में रखे या गले में धारण करे।

बृहस्पति कमजोर होने के लक्षण

बृहस्पति ग्रह का शुभ और अशुभ प्रभाव मानव जीवन पर पड़ता है। ग्रह के अनिष्ट प्रभाव के कारण व्यक्ति को अनेक प्रकार के गंभीर रोगों का सामना करना पर सकता है तथा आर्थिक क्षेत्र में भी हानि उठानी पड़ती है। अतः ग्रह किसी भी क्षेत्र में अनिष्ट प्रभाव कर रहा हो तो उसका बलबान किया जाना बहुत आवश्यक है।

यदि बृहस्पति अनिष्टकारी हो तो सारे कुल के हर मनुष्य से जहां तक कि रक्त का प्रभाव हो, उन सभ से एक-एक पैसा लेकर धर्म-मंदिर में देने से आपका बृहस्पति आपके अनुकूल हो जाता है ‘दूर होता है। बृहस्पति को प्रसन्‍न करने के लिएं जहा मंदिर में दान देना लाभप्रद है, वहां पीपल के वृक्ष को पालना भी लाभप्रद है। बृहस्पति को दान में दी जाने वाली वस्तुओं में केसर, हल्दी, दाल, चना और सोना भी है।

बृहस्पति ग्रह के दोष के लिए

निवारण – बृहस्पति ग्रह गुरु दशा बुरा दोष सही करने के लिए के लिए साँड को प्रतिदिन सात अनाज और सवा किलो अनाज सवा सौ ग्राम गुड़ साँड को सवा महीने तक खिलाओ और हल्दी की पाँच गाँठ पीले कपड़े में बाँध दो और पीपल पर बाँध दो और तीन  गाँठ अपने साथ पीले वस्त्र में बाँध दो और अपनी जेब के अन्दर रखो , ऐसा करने से बृहस्पति ग्रह का दोष अवस्या  शान्त होगा

अथवा

निवारण – बृहस्पतिवार को भुने  चने बिना नमक के होने चाहिए ग्यारह मन्दिरों के सामने बांटे कोई भी  नर-नारी  बच्चे मिले सभी को बांटे प्रातकाल उठने के बाद घर से निकलते ही जो जीव आपके सामने आये उसे ही खिलावें चाहे चार पैरों का पशु जानवर हो या फिर नर-नारी बच्चे हो जितने भी चने अपने पास लेकर चलोगे उनको जो भी मिले देते चले जायें। यह विधि करने से बृहस्पति देव की दृष्टिशान्त हो जायेगी।

गुरु बृहस्पति मंत्र

मंत्र

ब्रहत ब्रहत बृहस्पति ग्रहयामि ,
जागिरान्धि कारिणी पुस्करान्ति
शुभ्रमणीयम्‌ ग्रह स्वामि
जानशरियायाम्‌ फौलायायामि,
धीश्यान्ति ब्रह्मयामि शुअचारिणी ,
यथा यथा कर्मचारिणी ,
फलायामि जन्त्रायामि स्वामिन ग्रह,
घोडेस्यान्ति परिमानन्दम्‌ फिरूयामि , फिरूयामि
आग्य वनस्पतियायाम्‌ 
श्यान्ति ग्रहयामि , नमायामि नमायामि
भौलाअस्टी निरूस्यति, कर्मणे कर्मणे
‘यथासितम बृहस्पति देवाय नम:
बृहस्पति गुरुयामि नम:

गुरु बृहस्पति देव

मंत्र


गुरु बृहस्पति वायाय: नम: गुरु वारिणी नम:
अध्यात्मिकम : पिरूहाक्तियम: आस्थाननम:
आधिरश्यिजम : वियाक्यारणम : कक्षाणी भिरूतम:
महाकल्याणम : वीराक्तिजम : ग्रह आविषयजम गुरुम
पाक्तिंविजय : संसारम :
जय गुरु बृहस्पतिवाय : नम:
जय देवाय: नम:
इति सिद्धम्‌

गुरु बृहस्पति की दृष्टि नरम होने हेतु

विधि – गुरुवार के दिन सवा किलो चने उबालकर पाँच ऐसे पंडितों को खिलावें जो कर्मकाण्डी पंडित हों और भोजन भी चने का ही करवाये यह कार्य विधि सात बृहस्पतिवार तक करनी है गुरुवार की दृष्टि शान्त हो जायेगी, नरम हो जायेगी।

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