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Toggleशक्तिशाली दुर्गा मंत्र: वे कैसे मदद करते हैं?
मां दुर्गा ब्रह्मांड की मां हैं, जो सबका ख्याल रखती हैं और सभी को अपने बच्चे की तरह बेहद प्यार करती हैं। और वह मां की तरह अपने सभी बच्चों की विपत्तियों से रक्षा के लिए सदैव खड़ी रहती हैं। मां दुर्गा तीन भागों में विभाजित हैं, जहाँ ‘दु’ चार बुराइयों यानी गरीबी, अकाल, पीड़ा और बुरी आदतों की ओर इशारा करता है। ‘र’ रोगों का प्रतिनिधित्व करता है और ‘ग’ का अर्थ है पाप, अन्याय, क्रूरता और आलस्य जैसी सभी नकारात्मक चीजों का नाश करने वाला।
आज हम आपको जगत जननी मां दुर्गा की एक ऐसी प्रभावकारी साधना बताने जा रहे है। जो बहुत ही कल्याणकारी है और साधारण है, यह साधना कोई भी कर सकता है, लेकिन साधना के दौरान सात्विकता और ब्रह्मचर्य का पालन करना बहुत जरूरी है, अगर अत्यंत निर्धन से भी निर्धन व्यक्ति इस साधना को कर ले तो उनकी किस्मत फिर से जाग उठेगी, यह हमे पूर्ण विश्वास है.
साधना हेतु जरुरी सामग्री।
मित्रों इस साधना के लिए किसी भी प्रकार की अनावश्यक आडंबर की आवश्यकता नहीं है इस साधना में केवल वही वस्तुएं जो हम अक्सर साधारण पूजा पाठ में प्रयोग करते हैं, उन्हीं वस्तुओं की इस साधना में आवश्यकता होगी, साधना से पूर्व आप इन समागरी को एकजुट कर ले, जो मैं बताने जा रहा हूं, सबसे पहले आपको कोई भी बढ़िया सी सुगंधित एक अगरबत्ती की पैकेट लेने हैं,
उसके बाद कनेर के 108 पुष्प को एकजुट करें, यदि कनेर के पुष्प उपलब्ध ना हो तो गुड़हल के 108 पुष्प ही ले ले, यदि वह भी उपलब्ध ना हो तो कोई भी 108 पुष्प ले ले, परंतु भक्ति भाव रूपी पुष्प अपने हृदय में अवश्य लेकर साधना में बैठे, क्योंकि महामाया भगवती को भाव से सूखे पत्ते भी चढ़ा दोगे तो मां अवश्य स्वीकार करेगी, उसके बाद घी का दीपक एक जुट करें,
यदि घी का अभाव हो तो तिल के तेल का दीपक ही जला ले, आसन के लिए लाल उनी आसन का ही प्रयोग करें, पुष्पांजलि हेतु अलग से पुष्प एवं बेलपत्र को रखें, साधन काल में पहनने के लिए आपके पास एक स्वच्छ लाल वस्त्र होना चाहिए, यदि लाल वस्त्र का अभाव हो तो आपके पास जो भी साफ सुथरा वस्त्र उपलब्ध हो उसको धारण कर सकते हैं, अन्यथा ज्यादा अभाव की स्थिति में स्नान करके कोई भी साफ वस्त्र लपेटकर नंगे बदन भी साधना में बैठ सकते हैं, लेकिन काले रंग के वस्त्र नहीं होना चाहिए, इतने सामग्री को एकजुट करने के पश्चात आपको साधना की ओर बढ़ना चाहिए,
दुर्गा साधना विधि
अब साधना विधि को जानते हैं, मित्रों, यह साधना किसी भी दुर्गाष्टमी के दिन करने से यह तीव्र फलदाई होता है, इसलिए साधना की शुरुआत किसी भी माह के दुर्गाष्टमी से रात्रि में के बाद शुरू करना है, अगर साधना स्थल कोई शिवालय हो तो अति उत्तम होगा, क्योंकि माता दुर्गा की यह साधना शिवलिंग पर ही संपन्न करती है अगर आप घर पर करना चाहते हैं तो आप बाणालिंग पर ही इस साधना को संपन्न कर सकते हैं
शिवलिंग शब्द में भगवान शिव और देवी शक्ति अर्थात मां पार्वती के आदि आनादि एकल रूप का चित्रण है यदि बाणलिंग उपलब्ध ना हो तो मां दुर्गा की एक बड़ी सी फोटो लेकर गंगा जल से स्वच्छ करके उसे फूलमाला एवं बेलपत्र से अच्छी तरह श्रृंगार करके उस पर भी साधना संपन्न कर सकते हैं लेकिन किसी शिवालय के शिवलिंग या बाणलिंग पर यह साधना करना ज्यादा श्रेयसकर रहेगा
माता महामाया की इस साधना को दुर्गाष्टमी से शुरू करके कुल आठ दिनों तक लगातार करना है सर्वप्रथम आप स्नान करके सूर्य को जल देकर सूर्य को प्रणाम करें और साधना स्थान पर स्वच्छ आसन बिछा ले और आसन ग्रहण करने से पूर्व आसन को प्रणाम करें और उसके बाद आसन पर बैठे तत्पश्चात शिवजी इतना करने के बाद मां दुर्गा को मंत्र उच्चारण करते हुए पुष्पांजलि प्रदान करें मंत्र इस प्रकार है या देवी सर्वभूतेशु मातृपेण संस्थिता नमस्तस्य नमस्तस्य नमस्तस्य नमो नमः उसके बाद अनन्य भक्ति भाव से जो 108 पुष्प आपने रखा है उसको ज्ञान मुद्रा से शिवलिंग में भगवती का स्मरण करते हुए उनके चरणों में मंत्र पढ़-पढ़कर एक-एक पुष्प अर्पित करें
एक बात अवश्य याद रखें कि पुष्प को ज्ञान मुद्रा से पकड़कर पहले अपने हृदय से स्पर्श कराते हुए मंत्र पढ़ना है और मंत्र पढ़कर भगवती के चरणों में अर्पण कर देना है इस प्रकार 108 बार मंत्र पढ़कर 108 पुष्प समर्पित करने के बाद पुनः गुरुदेव एवं भगवती को उपरोक्त बताए गए मंत्रों से पुष्पांजलि प्रदान करके एवं उन्हें प्रणाम करके साधना को समाप्त करें यह साधना निष्काम भाव से करें और प्रतिदिन की साधना कर्म को अपने गुरुदेव के श्री चरणों में समर्पित कर दें
दुर्गा मंत्र का जाप कैसे करें
- दुर्गा माता का मंत्र का जाप करने से पहले शरीर को स्वच्छ करना जरुरी है
- मंत्र को जाप प्रतिदिन सुबहा जल्दी करना चाहिए
- मंत्र को प्रतिदिन 108 बार जपना चाहिए
- दुर्गा मंत्रों के जाप के साथ,माता को रोली लाल चंदन का पाउडर फूल, बेलपत्र और सिंदूर (कुमकुम) अर्पित करना चाहिए
- माँ दुर्गा को सबसे प्रिय फूल लाल गुड़हल, कमल, चमेली, गेंदा, चंपा और मोगरा हैं। पश्चिम बंगाल में, शिउली या पारिजात फूल का उपयोग भी लोकप्रिय है क्योंकि यह शरदोत्सव की शुरुआत का प्रतीक है।
दुर्गा मंत्र – 1
मंत्र –
ॐ ह्लीं दुं दुर्गायें नमः ।
दुर्गा मंत्र – 2
मंत्र –
ॐ दुर्गे दुर्गे रक्षणि स्वाहा ।
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