विष्णु लक्ष्मी मंत्र: धन-संपत्ति और समृद्धि का रहस्य - Tantra Mantra

विष्णु लक्ष्मी मंत्र: धन-संपत्ति और समृद्धि का रहस्य

विष्णु लक्ष्मी मंत्र: धन-संपत्ति और समृद्धि का रहस्य

॥ श्रीलक्ष्मी विशोषमन्त्रः ॥

चतुर्षष्टि लक्ष्मी मंत्र

अस्य श्रीचतुर्षष्टिलक्ष्मीमाहामन्त्रस्य
ऋषिः: भृगु
छंदः: निचृच्छंदः
देवता: श्रीलक्ष्मी
मम सर्वाभीष्टसिद्धयर्थे विनियोगः।

ऋष्यादि न्यासः:

  • भृगु ऋषये नमः शिरसि
  • निचृच्छन्दसे नमः मुखे
  • श्रीलक्ष्मी देवतायै नमः हृदि
  • विनियोगाय नमः सर्वाङ्गे

करन्यासः:

  • ॐ श्रीं अङ्गुष्ठाभ्यां नमः।
  • ॐ श्रीं तर्जनीभ्यां नमः।
  • ॐ श्रीं मध्यमाभ्यां नमः।
  • ॐ श्रीं अनामिकाभ्यां नमः।
  • ॐ श्रीं कनिष्ठिकाभ्यां नमः।
  • ॐ श्रः करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः॥

हृद्यादि न्यासः:

  • ॐ श्रीं ज्ञानाय हृदयाय नमः।
  • ॐ श्रीं ऐश्वर्याय शिरसे स्वाहा।
  • ॐ श्रीं शक्तये शिखायै वषट्।
  • ॐ श्रीं बलाय कवचाय हुं।
  • ॐ श्रीं तेजसे नेत्राभ्यां वौषट्।
  • ॐ श्रीं वीर्याय अस्त्राय फट्।
  • भूरभुवस्सुवः इति दिग्बन्धः॥

ध्यानम्

माणिक्यप्रतिमप्रभां हिमगिरिमैनाकेन्द्रजङ्घांत्रिभिर्गजेः।
हस्ताग्राहितललुभमसुलिलेन्दीवरासिश्च्यमानां मुदा।
हस्ताब्जैर्वरदानमञ्जुगणगुमानीतार्ध्यानां हरेः।
कान्तां काञ्चीतपारिजातलतिकां वन्दे सरोजासनाम्॥

मूलमन्त्रः

ॐ – श्रीं – ह्रीं – क्लीं।

षडक्षरी श्रीमन्त्रम्

अस्य श्रीमन्त्रस्य
ऋषिः: भृगु
छंदः: निचृच्छंदः
देवता: श्रीमहालक्ष्मी
सर्वचक्रस्य प्राणपतिहादि सर्ववेदान्ततत्त्वप्रकाशादि सर्वशरायास्य जपः विनियोगः।

बीज मन्त्र:

  • ॐ बीजं – श्रीं शक्तिः – श्रीं कीलकम्।

ऋष्यादि न्यासः

  • भृगु ऋषये नमः शिरसि
  • निचृच्छन्दसे नमः मुखे
  • श्रीमहालक्ष्मी देवतायै नमः हृदि
  • विनियोगाय नमः सर्वाङ्गे

करन्यासः

  • ॐ श्रीं अङ्गुष्ठाभ्यां नमः।
  • ॐ श्रीं तर्जनीभ्यां नमः।
  • ॐ श्रीं मध्यमाभ्यां नमः।
  • ॐ श्रीं अनामिकाभ्यां नमः।
  • ॐ श्रीं कनिष्ठिकाभ्यां नमः।
  • ॐ श्रीं करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः॥

हृदयादि न्यासः

  • ॐ श्रीं हृदयाय नमः।
  • ॐ श्रीं शिरसे स्वाहा।
  • ॐ श्रीं शिखायै वषट्।
  • ॐ श्रीं कवचाय हुँ।
  • ॐ श्रीं नेत्राभ्यां वौषट्।
  • ॐ श्रीं अस्त्राय फट्।
  • ॐ भूर्भुवःस्वरोमिति दिग्बन्धः॥

ध्यानम्

वन्दे पद्मकरां प्रसन्नवदनां सौभाग्यदां भाग्यदां
हस्ताभ्यामभयप्रदां मणिगणैरनाविदेभूषिताम्।
भक्ताभीष्टफलप्रदां हरिहरब्रह्मादिभिः सेवितां
पार्श्वे पङ्कजशङ्खपद्मनिधिभिःयुक्तां सदा शक्तिम्॥

मूलमन्त्रः

ॐ – श्रीं – ह्रीं – नमः।

पूजा विधि

ऋष्यादि न्यासः

  • भृगुः ऋषिः
  • निचृच्छन्दः
  • श्रीलक्ष्मीः देवता
  • मम धनागमने जपे विनियोगः।

करन्यासः

  • ॐ श्रीं अङ्गुष्ठाभ्यां नमः।
  • ॐ श्रीं तर्जनीभ्यां नमः।
  • ॐ श्रीं मध्यमाभ्यां नमः।
  • ॐ श्रीं अनामिकाभ्यां नमः।
  • ॐ श्रीं कनिष्ठिकाभ्यां नमः।
  • ॐ श्रीं करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः॥

हृदयादि न्यासः

  • ॐ श्रीं हृदयाय नमः।
  • ॐ श्रीं शिरसे स्वाहा।
  • ॐ श्रीं शिखायै वषट्।
  • ॐ श्रीं कवचाय हुँ।
  • ॐ श्रीं नेत्राभ्यां वौषट्।
  • ॐ श्रीं अस्त्राय फट्।
  • ॐ भूर्भुवःस्वरोमिति दिग्बन्धः॥

ध्यानम्

कान्त्या काञ्चनसन्निभां हिमगिरिप्रस्यन्दमन्दाकिनीगेः।
हस्तालक्षैर्यमणगणमुक्तैरासिस्न्यमानां श्रियम्।
विभ्राणां वस्त्रभूषाभिरनुपमया हस्तेः किरीटोज्ज्वलां
क्षमां शीलवतीं सन्द्रमदनरसां वन्देऽरविन्दस्थिताम्।

पूजन विधि

(ध्यानानन्तरं सर्वतोभद्रमण्डले मण्डुकादि परतल्पान्तपीठदेवता:
संस्थापयेत् – सम्पूजयेतत: पूर्वधध्वसु दिक्षु नवपीठशक्ती: पूजयेत्।)

  • पूर्वे – ॐ विष्णवे नमः।
  • आग्नेये – ॐ उन्मत्ताय नमः।
  • दक्षिणस्यां – ॐ कालीये नमः।
  • नैऋत्ये – ॐ सृशे नमः।
  • पश्चिमे – ॐ कीर्तये नमः।
  • वायव्ये – ॐ सत्यायै नमः।
  • उत्तर – ॐ पृष्ठये नमः।
  • ईशान्ये – ॐ उत्कृष्टाय नमः।
  • पीठमन्त्रे – ॐ स्थाणवे नमः।

(ततः स्वर्णादि निर्मितं यन्त्रं अथ ऊर्ध्वाणपर्वकम्
श्रीं कमलासनायै नमः इति मन्त्रेण पुष्पाञ्चासनं दत्त्वा
पीठमन्त्रेण संस्थाप्य, प्राणप्रतिष्ठां कृत्वा मूर्तेः पूर्तिं
प्रक्षाल्य, आवाहनादिकं उपचारः सम्पन्न देवतया गृह्यते।
आवरणपूजां कुर्यात्।)

प्रथमायुधन्यासः

  • दक्षिणे शरसेधुः।
  • अधिकोणे – ॐ श्रीं हृदयाय नमः।
  • नेत्रयोः – ॐ श्रीं शिरसे स्वाहा।
  • वाच्योः – ॐ श्रीं शिखायै वषट्।
  • ईशान्ये – ॐ श्रीं कवचाय हुँ।
  • प्रणयनक्रियान्ते – ॐ श्रीं नेत्राभ्यां वौषट्।
  • देवी पक्षे – ॐ अस्त्राय फट्।

(इति बडग्रामेण पूजयेतः ततः पुष्पाञजलीं आदाय मूर्ते उच्चार्य।
भक्त्या सम्प्रेय विधिः शरणागतानां।)

द्वितीयावरण पूजा

पुष्पपुज्यकयोः अन्तर्गतः प्राच्यादि दिशाः प्रकल्पयेत्।

  • पूर्वे – ॐ वसुदेवाय नमः। वासुदेव श्रीपदुकाम्।
  • दक्षिणे – ॐ संकर्षणाय नमः।
  • पश्चिमे – ॐ प्रद्युम्नाय नमः।
  • उत्तरे – ॐ अनिरुद्धाय नमः।
  • आग्नेये – ॐ दमकाय नमः।
  • नेत्रयः – ॐ सत्तलाय नमः।
  • वायव्ये – ॐ गृगुलाय नमः।
  • ईशान्ये – ॐ गुरुशुक्राय नमः।
  • देवता: दक्षिणे – ॐ शङ्कराय नमः। ॐ वसुनरायै नमः।
  • देवता: वामे – पद्मनाभाय नमः। ॐ वसुमित्रे नमः।

(इति पुष्पाञ्जलिं पुष्पाधिकं आदाय -)
ॐ अधिष्ठाते मे देहि शरणागतवत्सलम्।
भक्त्या सम्पन्ने तृणयं द्वितीयावरणं नमः॥

तृतीयावरण पूजा

ततः पत्रैष्णुः पूर्वादि क्रमण –

  • पूर्वे ॐ बलायै नमः बलाकी श्रीपादुकाम्।
  • आग्नेये ॐ विमलायै नमः।
  • दक्षिणे ॐ कमलायै नमः।
  • नैऋत्ये ॐ वनमालिकायै नमः।
  • पश्चिमे ॐ विमलिकायै नमः।
  • वायव्ये ॐ पालिकायै नमः।
  • उत्तरे ॐ शार्ङ्ग्यै नमः।
  • ईशान्ये ॐ वसुमालिकायै नमः।

(इतिपूज्यिता पुष्पाञ्जलिं आदाय -)
ॐ अभीष्टसिद्धिं मे देहि शरणागतवत्सले।
भक्त्या समर्पये तुभ्यं तृतीयावरणार्चनम्॥

दश दिग्पालक पूजा

भूपुरे प्राकारादि क्रमण –

  • पूर्वे ॐ लं इन्द्राय नमः।
  • आग्नेये ॐ रं अग्नये नमः।
  • दक्षिणे ॐ यं यमाय नमः।
  • नैऋत्ये ॐ क्षं निर्ऋते नमः।
  • पश्चिमे ॐ वं वरुणाय नमः।
  • वायव्ये ॐ चं वायवे नमः।
  • उत्तरे ॐ कुं कुबेराय नमः।
  • ईशान्ये ॐ हं ईशानाय नमः।

विष्णु लक्ष्मी मंत्र का जाप करने से व्यक्ति को अनेक लाभ होते हैं। यहाँ पर इस मंत्र के 10 लाभ दिए गए हैं:

विष्णु लक्ष्मी मंत्र के 10 लाभ

  1. धन-संपत्ति की प्राप्ति: विष्णु लक्ष्मी मंत्र का जाप करने से धन और संपत्ति की प्राप्ति होती है। यह आर्थिक समृद्धि में सहायक होता है।
  2. वित्तीय संकट से मुक्ति: इस मंत्र का जप करने से वित्तीय संकट दूर होते हैं और व्यक्ति को आर्थिक स्थिरता मिलती है।
  3. समृद्धि में वृद्धि: यह मंत्र समृद्धि और धन की वृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इसे जपने से व्यक्ति की आय में वृद्धि होती है।
  4. व्यापार में सफलता: व्यापारी और व्यवसायी लोग इस मंत्र का जाप करके अपने व्यापार में सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
  5. सुख-शांति की प्राप्ति: यह मंत्र मानसिक शांति और सुख-शांति का भी स्रोत है। इससे परिवार में भी सुख-शांति बनी रहती है।
  6. सकारात्मकता का संचार: विष्णु लक्ष्मी मंत्र का जाप करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जिससे व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ता है।
  7. कर्ज से मुक्ति: इस मंत्र के जाप से व्यक्ति को कर्ज से मुक्ति मिलती है और आर्थिक तनाव से राहत मिलती है।
  8. व्यक्तिगत संबंधों में सुधार: इस मंत्र का जाप करने से पारिवारिक और व्यक्तिगत संबंधों में सुधार होता है, जिससे जीवन में प्रेम और सामंजस्य बढ़ता है।
  9. आध्यात्मिक विकास: विष्णु लक्ष्मी मंत्र का जप करने से आध्यात्मिक विकास होता है, और व्यक्ति में ध्यान और साधना की क्षमता बढ़ती है।
  10. भौतिक सुख-सुविधाएँ: इस मंत्र के प्रभाव से भौतिक सुख-सुविधाएँ भी प्राप्त होती हैं, जिससे व्यक्ति का जीवन और अधिक समृद्ध और सुखमय बनता है।

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