मांगलिक दोष की काट | Manglik Dosh ki kaat - Tantra Mantra

मांगलिक दोष की काट | Manglik Dosh ki kaat

मांगलिक दोष की काट | Manglik Dosh ki kaat

निम्न लिखित मांगलिक दोष की काट बहुत प्रभावशाली है। Tantramantra.in एक विचित्र वेबसाइट है जो की आपके लिए प्राचीन तंत्र मंत्र सिद्धियाँ टोन टोटके पुरे विधि विधान के साथ लाती है. तंत्रमंत्र कहता है सभी तांत्रिक मित्रों को इन कार्यविधियों को गुरु के मध्य नज़र ही करना चाहिये। तथा इन इलमो को केवल अच्छे कार्य में ही इस्तेमाल करना चाहिए, अन्यथा आपको इसके बुरे परिणाम का सामना खुद ही करना होगा । निम्न लिखित मांगलिक दोष की काट बहुत प्रभावशाली है। 

Tantra Mantra लाया है आपके लिए राहु के लक्षण और उपाय! यह मंत्र बहुत ही प्रभावशाली तथा असरदायी है कृपया इन्हे गुरु की देख रेख में ही सिद्ध करें! इन मंत्रो का गलत उपयोग करने का कभी न सोचे इससे आपको खुद भी चोट हो सकती है, आपके साथ हुई किसी भी प्रकार की अनहोनी के लिए TANTRA MANTRA ज़िम्मेदार नहीं होगा!

निम्नलिखित तंत्र मंत्र तंत्र मंत्र साहित्यो से लिए गए हैं! जैसे इंद्रजाल, लाल किताब, शाबर मंत्र संग्रह।

मांगलिक दोष क्या है 

चूंकि किसी के भी जीवन को खत्म कर देने में मंगल को महारथ हासिल है इसलिए ज्योतिष के आचर्यों ने प्रत्येक उस स्थिति को-जिसमें मंगल का प्रभाव जीवन-साथी की आयु को कम करने वाला हो, अनिष्टकारी माना है। ऐसे दोष को मांगलिक दोष कहा जाता है  

मांगलिक दोष कैसे बनता है – 1

जिसमें मंगल पुरुष और स्त्री के पहले, चौथे, सातवें, आठवें और बारहवें-इन घरों में से किसी घर में स्थित हो तो. वह मांगलिक योग बनाता है। पहले घर यानी लग्न में हो तो अपनी पूरी साधवों दृष्टि से सातवें घर पर अपनी मारणात्मक क्रूर दृष्टि डालेगा। यदि चौथे घर में हुआ तो अपगी चौथी दृष्टि से सातवें घर को देखेगा। यदि सातवें में हुआ तो सीधा उस घर को अपनी स्थिति से पीड़ित करेगा।

मांगलिक दोष कैसे बनता है – 2

इसी प्रकार से अगर मंगल आठवें में हुआ तो उसकी पूरी सातवीं दृष्टि दूसरे घर पर पड़ती है जिसके कारन दूसरा घर पीड़ित होगा और क्योकि ‘दूसरा घर सातवें से आठवां है अर्थात्‌ जीवन-साथी की आयु का स्थान है, इस पर भी मंगल की दृष्टि वैसे ही जीवन-साथी की आयु के लिए हानिकारक होगी, जैसे कि उसकी दृष्टि सातवें घर पर पड़ेगी। इसलिए उपर्युक्त पांच भावों में मंगल मांगलिक योग अथवा कुजदोष उत्पन्न करता है। 

मांगलिक दोष की काट 

यदि मंगल का प्रबल प्रभाव सातवें घर पर पड़ रहा हो और विशेषतया अगर मंगल का प्रबल प्रभाव सातवें घर पर पड़ रहा हो तो विशेषतया उसकी युति अथया दृष्टि का प्रभाव सातवें घर के मालिक और दूसरे घर के मालिक तथा कारक ग्रह (स्त्री की कुंडली बृहस्पति और पुरुष की कुंडली में शुक्र) पर पड़ता हो तो मंगल का निवारण जरूर ही करवाना चाहिए अर्थात्‌ मंगल की पूजा, मंगल के देवता हनुमानजी की पूजा भी करनी चाहिए और मंगलवार का उपवास,मंगल के मंत्र का जाप तथा दान आदि करना चाहिए ।

यह देखने में आए कि मंगल अपने प्रभाव से अनिष्ट की उत्पत्ति कर रहा है, तो इस दशा में मंगल को जितना बलवान्‌ किया जाएगा, उतना ही वो और अधिक अनिष्टकारी बनता चला जाएगा। अत: जिस कुंडली में मांगलिक योग बनता हो; उसके जातक को मूंगा कभी नहीं पहनना चाहिए। यदि मंगल और केतु की तथा इनके द्वारा अधिष्ठित राशि के स्वामी (मालिक) की आठवें अथवा उसके स्वामी पर दृष्टि आदि का प्रभाव हो तो व्यक्ति की मृत्यु किसी दुर्घटना

द्वारा होती है, ये धियान रखना चाहिए। इस स्थिति में यह याद रहे कि छठवे और ग्यारहवें घर के स्वामी भी चोट देने वाले होते हैं। जब मंगल तथा केतु का प्रभाव पहला घर उसका स्वामी, आठवां घर उसका स्वामी सभी पर हो और अन्य कोई प्रभाव न हो तो मृत्यु अवश्य किसी दुर्घटना से होती है।

यदि उपर्युक्त स्थानों आदि पर एकाघ मांगलिक प्रभाव हो तो उपाय द्वारा कष्ट का निवारण किया जा सकता है। ऐसी स्थिति में लग्न का सवामी और आठवे घर के स्वामी को उनके संबंधित रत्न पहनकर और मंगल तथा केतु की दान, पूजन, व्रत मंत्र दारा शांति कराकर लाभावित होना चाहिए। यहाँ यह भी ध्यान रहे की मंगल को बलवान करना जरुरी नहीं है  

जरुरी सुचना – 

यह योग प्राय: जीवन – साथी ( पुरुष अथवा स्त्री जैसा भी हो ) की आयु के हरण करने का योग है। किन्तु इतना ध्यान रहे कि यह कोई जरुरी नहीं की जब भी मंगल पहले, चौथे, सातवे आठवे घर में हो तो वह अवश्य स्त्री अथवा पुरुष साथी को मारेगा ही हो सकता है की सातवें घर पर मंगल का प्रभाव हो, किन्तु सातवें घर का मालिक ग्रह और शुक्र (पुरुष की कुंडली में) और सातवें घर का मालिक ग्रह और बृहस्पति स्त्री की कुंडली में मजबूत हो तो ऐसी स्थिति में

जीवन-साथी की उम्र में बहुत थोड़ी कमी जाएगी और वो जीवन लम्बा ही रहेगा। मंगल भी जब सातवें घर में हो अथवा उसको देखता हो तो प्रत्येक अवस्था में सातवें घर को एक जैसा नुकसान नहीं पहुंचाता। जैसे स्वक्षेत्री अथवा उच्च मंगल सातवें घर में पति अथवा पत्नी के लिए नुकसान देह नहीं है।

 जब मंगल के ऊपर शनि तथा राहु आदि ग्रहों का प्रभाव हो और वह नीच राशि में स्थित हो तो मंगल निर्बल हो जाता है। ऐसी हालत में भी उसकी दृष्टि यदि सातवें घर पर है तो उस दृष्टि में बल न होगा। परिणामस्वरूप सातवें घर को कम नुकसान होगा और मांगलिक योग एक नाम का ही मांगलिक योग रह जाता है।

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