बुध ग्रह को स्ट्रांग करने के उपाय

बुध ग्रह को स्ट्रांग करने के उपाय

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कुदरती टोटके जो मनुष्य पढ़कर खुद करेगा उसी का कार्य पूर्ण होगा और जो दूसरे को पढ़कर बतायेगा जिसको बतायेगा उसका कार्य नहीं होगा, जो पढ़ेगा और बिना किसी व्यक्ति को बताये करेगा उसी का कार्य सम्पूर्ण होगा।

निम्नलिखित तंत्र मंत्र प्राचीन तंत्र मंत्र साहित्यो से लिए गए हैं! जैसे इंद्रजाल, लाल किताब, शाबर मंत्र संग्रह इत्यादि|

बुध ग्रह 

बुध को चंद्र का पुत्र कहा गया है। पुराणों में भी बुध को चन्द्र (चन्द्रमा) की ‘पत्नी रोहिणी का पुत्र माना जाता है। प्रजापति दक्ष की जिन सत्ताइस कत्याओं का विवाह चन्द्र के साथ हुआ थ रोहिणी उन्हीं में से एक है; यह सभी सत्ताइस कन्याएँ आज भी सत्ताइस नक्षत्रों के रूप में जानी ज़ाती हैं। बुध, ग्रहों में सबसे छोटा है। कहां-कहाँ पर बुध को बृहस्पति का दूत भी बताया गया है। बुध ग्रह जिस समय सूर्य की गति का उल्लंघन करते हुए राशि संचरण करता है तो आंधो, तूफान, वर्षा अथवा सूखे की सूचना देता है। इसकी गति शुक्र की गति के समान है।

बुध ग्रह मुख्य रूप से व्यवसाय का प्रतिनिधि है, बुद्धि-विवेक और वाणिज्य का नियामक है। यह जाति से शूद्र तथा मस्तिष्क से वाणिक है। बुध ग्रह को अकेले होने की अवस्था में शुभ तथा पाप ग्रह से युक्त होने पर अशुभ की संज्ञा दी गई है। मिथुन और कन्या राशि का यह स्वामी है। सूर्य, शुक्र, राहु और केतु इसके अच्छे मित्र हैं, चंद्रमा को यह अपना शत्रु मानता है तथा मंगल और बृहस्पति न उसके मित्र हैं न शत्रु; अर्थात्‌ यह दोनों बुध से समभाव रखते हैं।

बुध ग्रह को स्ट्रांग करने के उपाय सरल एवं अचूक उपाय 

  • छोटी कन्याओ की सेवा करे और उन्हें दान करे 
  • प्रतिदिन सूर्य देव को जल अर्पित करे 
  • काली गाय की सेवा करे 
  • पिले केसर का तिलक लगाये 
  • दूध चावल चाँदी का दान मंदिर में दान करे 
  • प्रतिदिन गणेश जी की पूजा करे 
  • अपने भोजन का एक भाग कौआ को खिलाये 
  • साली के साथ गलत संबंध न बनाये 
  • किसी के साथ छल न करे 
  • शरीर में किसी भी रूप से सोना धारण करे 

बुध के अनिष्ट प्रभाव का निवारण

  • जिसकी जन्मलग्न वृष है और उसकी कुंडली के छठे घर में (तुला राशि) शुक्र और शनि है। सूर्य और बुध चौथे घर में है और राहु मंगल आठवें घर में है, तो ऐसे शख्स को हर्निया और गुर्दों की शिकायत जरूर होगी। क्योंकि कुंडली में छठी राशि और उसका मालिक बुध और छठा घर और उसका मालिक शुक्र यानी छह संख्या वाले अंग के सभी प्रतिनिधि पीड़ित हैं।
  • कन्या राशि सूर्य और शनि के पाप मध्यत्व द्वारा उसका मालिक राहु द्वारा दृष्ट होने की वजह से और छठा घर और उसका मालिक शनि और केतु के प्रभाव (असर) भें होने की वजह से। तो ऐसी हालत में छठी राशि और छठे घर के मालिकों को ताकतवर (बलवान) करना फायदेमंद होगा। शुक्र को तो हीरा धारण कर बलवान करें और बुध को बलवान करने के लिए पन्‍ना लाभदायक रत्न साबित होगा। 
  • इस प्रक्रिया से शरीर का छठा अंग दृढ़ और स्वस्थ होता है। बुध ग्रह के बारे में हम एक बात और
  • बताते हैं। अगर किसी बालक की लग्न वृष है और उसके बुध पर शनि तथा राहु का असर पड़ने की वजह से उसका मन लिखने-पढ़ने में नहीं लग रहा, तो ऐसी हालत में दूसरा विद्या के घर का मालिक तथा विद्या
  • के कारण बुध का बलवान्‌ किया जाना जरूरी होगा। इसके लिए बालक को पन्‍ना पहनवाना चाहिए।
  • जब किसी भी जन्मकुंडली में बुध तीसरें घर का मालिक हो और आठवें घर का मालिक हो तो पाप ग्रहों से दुःखी हो तो यह योग अकाल मृत्यु तक दे देता है, इसलिए ऐसी हालत में बुध को मजबूत करने के लिए पन्‍ना पहनना चाहिए, वहाँ श्री दुर्गा जी कौ पूजा आदि करना भी लाभदायक होगा। यहाँ यह भी ध्यान में रखना चाहिएं कि अगर ग्यारहवां अथवा चौथे घर का मालिक होकर बुध बहुत दुःखी (पीड़ित) हो तो पिता को अकाल मृत्यु दे सकता है।
  • बुध शरीर की त्वचा का कारक भी है। जब यह ग्रह सूर्य, चन्द्र अथवा लग्न के साथ मिलकर बैठ जाता है तो त्वचा का पूरी तरह से प्रतिनिधि बन जाता है। ऐसे बुध पर अगर राहु, शनि बगैरा बीमारियां देने वाले ग्रहों का असर हो तो त्वचा के अनेक-रोग पैदा हो जाते हैं। ऐसी हालत में बुध किसी भी धर में पड़ा हो तो उसका बलवान किया जाना बहुत जरूरी है। बलवान करने के लिए पन्‍ना पहनना लाभदायक है। पन्‍ना पहनने से बुध बलवान हो जाता है और त्वचा की बीमारियों से छुटकारा मिल जाता

बुध ग्रह के बारे में कुछ खास जानकारियां

  • बुध जब कभी कष्ट की स्थिति में होता है, तो वह अपने मित्र शुक्र को मुसीबत में डालकर अपना बचाव कर लेता है, यानि वे अपनी बला शुक्र के गले में डाल देता है। बुध उच्च वाला व्यक्ति यदि देवी, कन्या, बहन और बुआ आदि का अपमान करेगा, तो उच्च शुक्र अपना प्रभाव नहीं देगा।
  • सूर्य को बुध का मित्र इसलिए माना गया है, क्योंकि सूर्य का साथ मिलने पर बुध का दोष नष्ट होकर उसमें अनेक प्रकार के गुण उत्पप्त हो जाते हैं। अभी हमने ऊपर बताया कि बुध क’ एक और मित्र शुक्र भी है, जिससे बुध को प्रबलता मिलती है, बुध का तीसरा मित्र राहु है, दोनों एक-दूसरे से परस्पर सहयोग करते हैं, ये दोनों किसी कुण्डली में मन्दे घरों में हों, तो जातक जीवित होता हुआ भी मरे के समान हो जाता है, इसलिए इनका अलग-अलग घरों में होना ही अच्छा है।
  • बुध कन्या राशि के 15 अंश तक परम उच्चस्थ तथा मीन राशि सें 15 अंश तक परम नीच का माना जाता है। सूर्य और चन्द्र की भाँती बुध सदैव मार्गी जहाँ रहता, अपितु समय-समय पर मार्गी, वक्री तथा अस्त होता रहता है। बुध ग्रह यदि शुभ ग्रहों से युत हो तो शुभ फल और पाप ग्रह से युत हो तो अशुभ फल देता है। बुध के अशुभ प्रभाव को दूर करने के लिए उससे संबंधित रत्न पुणता धारण करना चाहिए।
  • बुध जातक की जन्मकुंडली में जिस घर में बैठा हो,वहाँ से तीसरे और दसवें घर को एक चरण दृष्टि से, पांचवें और नौवें घर को दो चरण दृष्टि से तथा सातवे घर से पूर्ण दृष्टि से देखता है मनुष्य के सरीर में कंधे से लेकर गरदन तक इसका नियंत्रण रहता है। यह उत्तर दिशा का स्वामी,नपुंसक तथा त्रिदोषकारी है। ये श्याम तथा हरे रंग वाला, बहुभाषी, कृश शरीर, रजोगुणी, पृथ्वी तत्त्व वाला, स्पष्टवादी, पित्त व कफ प्रकृति वाला, शूद्र जाति का है। यह अपने स्थान से सातवें भाव (घर) को पूरी दृष्टि से देखता है। इसकी विंशोत्तरी महादशा 17 वर्ष की मानी गई है। यह दशा जातक के लिए भाग्यवर्धक बनती है।
  • अलग – अलग परीस्थितियों के अनुसार बुध ग्रह मुनि, वेद-पुराण, ज्योतिषशास्त्र का अध्ययन, चाचा, साक्षी, राज्य, व्यापार, वैद्यक, कुष्ठ, संग्रहणी आदि रोगों का कारक है। उच्च, बलवान्‌ या स्वराशिस्थ बुध को दशा में जातक को ‘बहुत लाभ होता है। पुत्रों से उसे विशेष सुख मिलतः है और पुत्र की कीर्ति से भी सम्मानित होता है।
  • बुध नीच और हानि राशि में हो तो जातक को कफ, वात, पित्त आदि रोगों से पीड़ित करता है। धनहानि के साथ-साथ मानसिक चिन्ता से भी व्यथित होता है एवं कपटपूर्ण कार्यों में लिप्त होने को विवश होता है।’बलवान्‌ बुध वर्षेश (वर्ष का स्वामी या मालिक) हो तो जातक के लिए श्रेष्ठ लाभकारी होता है। उसकी बुद्धि का विकास होता है। कठिन परीक्षा में भी वो आसानी से सफल हो जाता है। बलवान्‌ बुध उच्च प्रशासनिक सेवाओं की भर्ती परीक्षाओं में भी सफलता प्राप्त करता है। कलाओं में भी जो निपुणता प्राप्त करता है। लेखक हो तो अपनी लेखनी के द्वारा सम्मान प्राप्त करता है। राज्यों में भी जातक को अपनी कला के ट्वारा सम्मान मिलता है और उसकी आय के कितने ही स्रोत बन जाते हैं।
  • यदि किसी जातक के वर्ष सें मध्यबली बुध वर्षेश हो तो जो व्यापारिक कार्यों में सफलता पाता है। मित्रों में सम्मान प्राप्त करता है और जिद, परीक्षा आदि कार्यों में निपुणता प्राप्त कर यश और लाभ का भागी बनाता है। हीनबली बुध वर्षेश होने पर जातक अपने धर्म से गिर जाता है। हर समय उन्मादपूर्ण हालात में घूमता रहता है और कई अलग – अलग खर्चों से उसकी इकट्ठा निधि पूंजी समाप्त हो जाती है। हीनबली बुध पुत्र की मृत्यु का योग भी करता है हीनबली बुध पुत्र की मृत्यु का योग भी करता है अथवा संतान पेट में ही मर जाती है। ऐसी दशा में जातक दुराचरण और तिरस्कार आदि फल प्राप्त करता है।

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