10 चंद्र खराब होने के लक्षण एवं अचूक उपाय 2024

10 चंद्र खराब होने के लक्षण एवं अचूक उपाय

Tantramantra.in एक विचित्र वेबसाइट है जो की आपके लिए प्राचीन तंत्र मंत्र सिद्धियाँ टोन टोटके पुरे विधि विधान के साथ लाती है. TantraMantra.in कहता है सभी तांत्रिक मित्रों को इन कार्यविधियों को गुरु के मध्य नज़र ही करना चाहिये। तथा इन इलमो को केवल अच्छे कार्य में ही इस्तेमाल करना चाहिए, अन्यथा आपको इसके बुरे परिणाम का सामना खुद ही करना होगा ।

निम्न लिखित  चंद्र खराब होने के लक्षण बहुत प्रभावशाली है। कुदरती टोटके जो मनुष्य पढ़कर खुद करेगा उसी का कार्य पूर्ण होगा और जो दूसरे को पढ़कर बतायेगा जिसको बतायेगा उसका कार्य नहीं होगा, जो पढ़ेगा और बिना किसी व्यक्ति को बताये करेगा उसी का कार्य सम्पूर्ण होगा।

निम्नलिखित तंत्र मंत्र प्राचीन तंत्र मंत्र साहित्यो से लिए गए हैं! जैसे इंद्रजाल, लाल किताब, शाबर मंत्र संग्रह इत्यादि|

चंद्र देव किसके पुत्र थे। 

चंद्र ब्रह्मा के पुत्र महर्षि अत्रि के नेत्र जल से उत्पन्न हुआ है, प्रजापति दक्ष ‘की सत्ताइस कन्याओं का पति है तथा एक पौराणिक कथा के अनुसार चंद्र अनुसूया के तीन पुत्रों में से एक है। वैसे तो चंद्र एक उपग्रह है, किन्तु ज्योतिषशास्त्र में उसे एक ग्रह की श्रेणी में ही रखा गया है। सूर्य तथा बुध उसके अच्छे मित्रों में हैं और राहु व केतु उसके पक्के शत्रु हैं, जबकि शुक्र, मंगल और शनि उसके साथ न तो किसी प्रकार कौ मित्रता ही रखते हैं और न ही किसी प्रकार से उसके शत्रु ही हैं। चंद्र के साथ वो सदैव समभाव रखते हैं।

चंद्र उच्च और नीच किस राशि में होता है। (चंद्र खराब होने के लक्षण)

चंद्र वृष राशि में उच्च का तथा वृश्चिक राशि में नीच का होता है। इसकी स्वराशि कर्क है। कुंडली के चौथे घर का इसे कारक माना गया है, किन्तु बली चंद्र ही चौथे घर में अपना श्रेष्ठ फल प्रदान करता है। यदि चंद्र चौथे घर में जन्मांग चक्र में पड़ा हो और निर्बल हो अथवा राहु के साथ मिलकर ग्रहण योग बना रहा हो तो ऐसी दशा में, चौथे घर में होने के पश्चात भी यह अपना पूरा फल कभी नहीं देगा।

चंद्र देव की दशा कितने वर्ष की होती है अथवा कौन से रोग का कष्ट देता है 

चंद्र अपने स्थान से सातवें घर को पूरी दृष्टि से देखता है। विंशोत्तरी दशा के अनुसार इसकी महादशः 20 वर्ष को होती है। कुंडली में चंद्र की स्थिति बहुत महत्त्वपूर्ण मानी जाती है, क्योंकि यह बहुत शीघ्र अपनी गति बदलता है और जातक को तुरंत लाभ-हानि पहुंचाने को क्षमता रखता है। यह मन और तत्त्वसंबंधी कार्य, सुगंधित द्रव्य, पानी, माता, आदर-सम्मान,संपन्‍नता, एकांतप्रियता, सर्दी, जुकाम, चर्मरोेग और हृदयरोग का कारक होता है। बृहस्पति के

साथ यह उच्च फल देता है, किन्तु सूर्य और बुध के साथ भी यह योग बनाने में समर्थ होता है। प्रश्न कुंडली में संपूर्ण विचार इसी के द्रारा किया जाता है। यात्रा, विवाह और शुभकार्यो के लिए इसका विशेष अध्ययन आवश्यक होता है।

चंद्र ग्रह कब धनवान अथवा धनहीन करता है। 

यदि किसी की कुंडली में जन्म लग्न ( मेष, वृष तथा कर्क राशि हो तो ) में चंद्रमा हो तो वह जातक धनवान, कांतिमान तथा पूर्ण आनंद का भागी होता है। यदि लग्न में ( मिथुन, सिंह, कन्या, तुला, धनु, मकर, कुंभ और मीन ) हो तो वह जातक धन से हीन,दुर्बल दरिद्र, मूर्ख तथा बहरा होता है। ऐसा लोग स्थूल शरीर का एवं गायन विद्या में ज्यादा रूचि रखने वाले होता है। 

चंद्र देव को अनुकूल करने के सरल एवं अचूक उपाय

  • सोमवार को दूध का दान करे। 
  • शिव लिंग पे दूध चढ़ाये। 
  • ईमानदारी सच्चाई और न्याय के रास्ते पे चले। 
  • मंदिर में चने की दाल चढ़ाये। 
  • नित्य मंदिर में जाएं। 
  • चांदी में सच्चा मोती जड़वा कर धारण करे। 
  • कान में सोना पहने। 
  • अपनी माता का आशीवार्द ले। 

टोटकों से सम्बन्धित उपाय

जिस घर में चन्द्र होता है, वहाँ सूर्य का प्रभाव भी आ जाता है और शत्रु ग्रहों के साथ बैठा मन्दा हो जाता है। 8 में मृत्यु से बचाता है, 7 में धन-सम्पत्ति देता है और 3 में लड़ाई में मददगार होता है। अगर किसी जातक चंद्र नीच का है, तो वह आगे लिखे उपायों को करें। अगर चन्द्र मन्दा हो, तो प्रत्येक घर में उसके

प्रभाव को बढ़ाने के उपाय लिखे गए, यों चन्द्र के मन्दे होने कौ निशानी इस प्रकार है-अकस्मात्‌ दूध देने वाला पशु मर जाए, नल से-पानी न आए. कुआँ या तालाब आदि सूख जाए। व्यवसाय आदि मैं रुकावट भी मन्दे चंद्र की निशानी है।

1. रात में किसी बरतन में पानी सिरहाने रखकर सुबह उसे कीकर के पेड़ में डालें।

2. सोमवार के दिन सफेद कपड़े में मिश्री बांधकर चलते पानी में बहाएं।

3. सन्तान के लिए घर में सन्तान पालें।

4. चांदी की अंगूठी में मोती पहनें।

5. अपने बुजुर्गों की दुआएं लें।

चंद्र के अनिष्ट प्रभाव का निवारण

1. चंद्र से चकंदी का संबंध सर्वत्र माना गया है। जब चंद्र जन्मकुंडली के किसी घर में बैठकर अपने से संबंधित वस्तुओं द्वारा कष्ट दे रहा हो, जैसे जातक माता की सेहत ख़राब हो और जातक को मानसिक चिंता या दुर्बल हो,और फेफड़ों का कोई रोग हो,धन की हानि हो रही हो तो चांदी को दरिया में बहा देना चंद्र से संबंधित कष्टों को कम करने वाला होगा। चंद्र जब अशुभ फल दे रहा हो तो रात को दूध या पानी का एक बर्तन सिरहाने रखकर सो जाएं और प्रातः

कीकर के वृक्ष पर डाल दें। यहां चंद्र से संबंधित वस्तु पानी, दूध,चांदी का किसी-न-किसी रूप में दान करना अथवा अपने से पृथक्‌ करने के बारे में कहा गया है। यहां चंद्र से पानी, दूध और चांदी आदि का संबंध माना गया है, अत: चंद्र जब कष्टकारी हो रहा हो तो भगवान शिव की जल, दूध आदि द्वारा पूजा लाभप्रद मानी गई है। चंद्र यदि लग्न में स्थित होकर अशुभ सिद्ध हो रहा हो तो लाल किताब के अनुसार दूध का व्यपार कभी नहीं चाहिए। 

2. जातक को प्राकृतिक जल, चावल, चांदी आदि चंद्र की वस्तुओं को धारण करना चाहिये। यह सब टोटकों की प्रक्रियाएं हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि टोटकों को निश्चित करते समय लाल किताब का रचयिता तीसरे आदि घरों में प्राकृतिक राशियों का ध्यान रखता है। जैसे यदि चंद्र ( चंद्रमा ) तीसरे घर में मौजूद

रहकर अनिष्टकारी सिद्ध हो रहा है तो सब्जरंग का कपड़ा लड़कियों को दान में देनां चाहिए, ऐसा उपाय है। यह तीसरे घर में प्राकृतिक राशि तीन संख्या की अर्थात्‌ बुध की है और बुध सब्ज अर्थात हरे रंग का भी है, वस्त्र भी है और लड़की भी। 

3. अत: इस प्रकार तीसरी राशि का ध्यान यदि रखा जाए तो उपाय हेतु संगत होने का भेद समझ में आ जाता है। चंद्रमा यदि चौथे घर में अनिष्टकारी सिद्ध हो रहा हो तो रात को दूध नहीं पीना चाहिए। ऐसी दशा में लोगों को दूध मुफ्त में पिलाना चाहिए।जब चंद्र आठवें घर में स्थित होकर अनिष्टकारी सिद्ध हो

रहा हो तो टोटके की प्रक्रिया के रूप में आप श्मशान की सीमा के अंदर स्थित कुएँ का पानी अपने घर में रखें। ऐसा करना चंद्र के अनिष्टकारी फल को दूर करने वाला सिद्ध होगा। 

4. लाल किताब के लेखक का मतलब यह है कि शनि यदि दसवें घर में होकर अशुभ परिणाम प्रदान कर रहा हो तो रात को कभी दूध नहीं पीना चाहिये, अन्यथा अहितकर,में वृद्धि होती है। यह विचार इस सिद्धांत पर आधारित प्रतीत होता है कि जो ग्रह पीड़ित हो रहा है, उससे संबंधित वस्तुओं का छोड़ना तथा दान आदि में देना ही लाभप्रद है। उनका सेवन करना विपरीत प्रभाव डालता है।

5. चंद्र यदि ग्यारहवें घर में मौजूद होकर अनिष्टकारी सिद्ध हो रहा हो तो टोटके के रूप में भैरव जी के मंदिर में दूध देना लाभदायक सिद्ध होगा। यहाँ भी चूंकि चंद्र ग्यारहवें घर की प्राकृतिक राशि कुंभ में, जो इसके शत्रु शनि की राशि का स्वामी है, भैरव का रूप है।

कुछ खास जानकारियां

जन्मकुन्डली में अगर अकेला चन्द्र हो और उस पर किसी दूसरे ग्रह की नजर न हो, तो जातक हर हालत में अपने कुल कौ हिफाजत करता है। उसका बर्ताव दया और नम्नतापूर्ण रहता है। जातक में अपने ऊपर आने वाले किसी भी आद्यात, दोष, यहाँ तक कि सजा-ए-फांसी को भी खारिज करवाने की

बेमिसाल ताकत होती है। लाल किताब के लेखक के अनुसार, अगर जातक का जन्म शुक्ल पक्ष का हो और चन्द्र, मीन 12 का हो तो जातक का जीवन सुखी होता है। अगर  चन्द्र क्षीण, मिथुन 3 , सिंह 5 कन्या 6, बुला 7 मकर 10 और कुम्भ 11  का हो तो जातक दुःखी रहता है। कुण्डली में सूर्य के घर से अगले सात घरो चन्द्र हो तो शुक्ल पक्ष होता है।

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