कराग्रे वसते लक्ष्मी मंत्र/कराग्रे वसते लक्ष्मी मंत्र लाभ - Tantra Mantra

कराग्रे वसते लक्ष्मी मंत्र/कराग्रे वसते लक्ष्मी मंत्र लाभ

कराग्रे वसते लक्ष्मी मंत्र का जाप प्रतिदिन सुबह करने से कई लाभ प्राप्त होते हैं। यह मंत्र लक्ष्मी, सरस्वती और गोविंद का आह्वान करता है, जो धन, ज्ञान और जीवन में संतुलन प्रदान करते हैं।

कराग्रे वसते लक्ष्मी मंत्र

लक्ष्मी सूत्त

पद्मानने पद्मविपद्मपत्रे पद्मप्रिये पद्मदलायताक्षि।

विश्वप्रिये विष्णुमनोऽनुकूलं त्वत्पादपद्मं मयि सन्निधत्स्व॥१॥ 

पद्मानने पद्म ऊरु पद्माक्षि पद्मसम्भवे। 

तन्मे भजसि पद्माक्षि येन सौख्यं लभाम्यहम्॥२॥ 

अश्वदायी गोदायी धनदायी महाधने। 

धनं मे जुषतां देवि सर्वकामांश्च देहि मे॥३॥ 

पुत्रान्देहि धनं देहि हस्त्यश्वादिगवेधनम्। 

प्रजानां भवसि माता आयुष्मन्तं करोतु मे॥४॥ 

धनमग्निर्धनं वायुर्धनं सूर्यो धनं वसुः। 

धनमिन्द्रश्च वरुणो धनं मṛtधतां मम॥५॥ 

वैश्वानराय सोप पिव सोमं पिबतु वृत्रहा। 

सोमं धनस्य सोमिनं मम दत्तु सोमिनः॥६॥ 

न क्रोधो न च मात्सर्यं न लोभो नाशुभा मति। 

भावना कृपणानां च भक्तिं मयि सन्निधत्स्व मे॥७॥

 सरसिजनिलये सरोजहस्ते धवलतमांशुकगन्धमाल्यशोभे। 

भगवति हरिवल्लभे मनोज्ञे त्रिभुवनभूतिकरि प्रसीद मह्यम्॥८॥ 

विष्णुपत्नीं क्षमां देवीं माधवीं माधवप्रियाम्।

लक्ष्मीं प्रियसखीं देवीं नमाम्यच्युतवल्लभाम्॥९॥ 

महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णुपत्न्यै च धीमहि। 

तन्नो लक्ष्मी: प्रचोदयात्॥१०॥

चन्द्रप्रभां लक्ष्मीमेशानां सूर्यां भालक्ष्मीमेव च। 

चन्द्र सूर्याग्निनकांश्च श्रीयं देवीमुपास्महे॥११॥ 

श्रीवर्षस्वाम्युभयमारोग्यमाविधाच्छोभमानं महीयते। 

धान्यं धनं पशुं बहुपुत्रलाभं शतसंवत्सरं दीर्घमायुः॥१२॥

कनकधार स्त्रोत्रम

अङ्गं हरेः पुलकभूषणमाश्रयन्ती, भृङ्गाङ्गनेव मुकुलाभरणं तमालम्।

अङ्गीकृताखिलविभूतिरपाङ्गलीला, माङ्गल्यदास्तु मम मङ्गलदेवतायाः॥1॥ 

 

मुग्धा मुहुर्विदधती वदने मुरारेः, प्रेमत्रपा प्रहणिनीतनि गतागतानि।

माला दृशोर्दुःखममीव महोच्छ्वासया या, सा मे श्रियं दिशतु सागरसंभवायाः॥2॥ 

 

विश्वामरेन्द्रपदविभ्रमदानदक्षं, आनन्दहेतुरधिकं मुरविध्विषोऽपि। 

ईषन्निषीदतु मयि क्षणमीक्षणार्धं, इन्दीवरोदरसहोदरमिन्दिरायाः॥3॥ 

 

आमीलिताक्षमधिगम्य मुदा मुकुन्दं, आनन्दकन्दमनिमेषमनङ्गतन्त्रम्।

आकेकरस्थितकनीनिकपक्ष्मनेत्रं, भूयः भवेन्मम भुजङ्गशयाङ्गनायाः॥4॥ 

 

बाहन्तरे मधुजितः श्रितकौस्तुभे या, हारावलिभिरिव हेमलतेव विभाति। 

कामप्रदा भगवतोऽपि कटाक्षमाला, कल्याणमावहतु मे कमलालयायाः॥5॥ 

 

कालाम्बुदालिललितोरसि कैटभारेः, धाराधरे स्फुरति या तडिदङ्गनेव।

 मातुः समस्तजगतां महनीयमूर्तिः, भद्राणि मे दिशतु भार्गवनन्दनायाः॥6॥

 

 प्राप्तं पदं प्रथमतः खलु यत् प्रबोधात्, माङ्गल्यभाजि मधुमाथिनि मन्थरेण।

मायापतेतदखिलं मघवन्मुखेभ्यः, मन्दालसं च मकरालयकन्यकायाः॥7॥ 

 

दद्याद् दयानुपवनो द्रविणाम्बुधाराम्, अस्मिन्नकिञ्चनविहङ्गशिशौ विषण्णे।

दुष्कर्मधर्ममपनीतं ममायुरिष्टं, श्रीः श्रेयसी श्रियमसीमसमन्नष्यामी॥8॥ 

 

इष्टाविशिष्टमतयोऽपि यया दयार्द्रा, दृष्ट्या त्रिविष्टपपदं सुलभं लभन्ते।

दृष्टिः प्रहृष्टकमलोदरदीप्तिरिष्टां, पुष्ये कुरुष्व मम पुष्करविष्टरायाः॥9॥ 

 

गीर्देवतेति गरुडध्वजसुन्दरीति, शाकम्भरीति शशिशेखरवल्लभेति।

सृष्टिस्थितिप्रलयकेलिषु संस्थितायै, तस्यै नमस्त्रिभुवनैकगुरोस्तरुण्यै॥10॥

 

श्रुवे नमोऽस्तु शुभकर्मफलप्रसूत्यै, रवे नमोऽस्तु रणवीणणगुणावधान्यै।

शक्तये नमोऽस्तु शतपत्रनिकेतनायै, पृथ्व्यै नमोऽस्तु पृषतामवलम्बनायै॥11॥

 

नमोऽस्तु नालीकनिभाननायै, नमोऽस्तु दुग्धोधधिजन्मभूम्यै।

नमोऽस्तु सोमामृतसोदरायै, नमोऽस्तु नारायणवल्लभायै॥12॥

 

सम्पत्करीणि सकलेन्द्रियनन्दनीानि, साम्राज्यदानविभवानि सरोरुहाक्षि। 

त्वद्वन्दनानि दुरिताहरिणोद्विगानि, मामेव मातरनिशं कलयन्तु मान्ये॥13॥ 

 

यत्कटाक्षसमुपासनाविधिः, सेवकस्य सकलार्थसम्पदः। 

सन्तनोति वचनाङ्गमानसैः, त्वां मुरारिहृदयेश्वरीं भजे॥14॥ 

 

सरसिजनिलये सरोजहस्ते, धवलतमांशुकगन्धमाल्यशोभे। 

भगवति हरिवल्लभे मनोज्ञे, त्रिभुवनभूतिकरि प्रसीद मह्यम्॥15॥ 

 

दिग्घस्तिभिः कनककुम्भमुखावसृष्ट, स्वर्वाहिनीविमलचारुजलाप्लुताङ्गीम्। 

प्रातर्नमामि जगतां जननीमशेष, लोकाधिनाथगृहिणीममृताब्धिपुत्रीम्॥16॥ 

 

कमले कमलाक्षवल्लभे त्वं, करुणापूरतरङ्गितैरपाङ्गैः। 

अवलोकय मामकिञ्चनानां, प्रथमं पात्रमकृत्रिमं दयायाः॥17॥ 

 

स्तुवन्ति ये स्तुतिभिरमुभिरन्वहं त्रयीमयीं त्रिभुवनमातरं रमाम्।

गुणाधिका गुरुतरभाग्यभागिनो, भवन्ति ते भुवि बुधभाविताशयाः॥18॥

कराग्रे वसते लक्ष्मी मंत्र लाभ

“कराग्रे वसते लक्ष्मी” मंत्र का जाप प्रतिदिन सुबह करने से कई लाभ प्राप्त होते हैं। यह मंत्र लक्ष्मी, सरस्वती और गोविंद का आह्वान करता है, जो धन, ज्ञान और जीवन में संतुलन प्रदान करते हैं। इस मंत्र के 15 मुख्य लाभ (लाभ) निम्नलिखित हैं:

  1. धन और समृद्धि: लक्ष्मीजी का आह्वान करने से आर्थिक स्थिरता और समृद्धि मिलती है।
  2. ज्ञान और बुद्धिमत्ता: सरस्वतीजी का आशीर्वाद प्राप्त कर व्यक्ति की बौद्धिक क्षमता में वृद्धि होती है।
  3. आध्यात्मिक उन्नति: भगवान विष्णु का आह्वान करने से आत्मिक उन्नति और शांति प्राप्त होती है।
  4. सकारात्मक शुरुआत: सुबह यह मंत्र जपने से दिन की सकारात्मक शुरुआत होती है।
  5. मन की शांति: यह मंत्र मानसिक शांति और संतुलन प्रदान करता है।
  6. संकटों से रक्षा: मंत्र व्यक्ति को बुरे समय और संकटों से बचाता है।
  7. मानसिक बल: इसका नियमित जाप मानसिक शक्ति को बढ़ाता है।
  8. आशावादी दृष्टिकोण: व्यक्ति के सोचने के तरीके में सकारात्मकता आती है।
  9. समय का सदुपयोग: यह मंत्र समय की महत्ता को समझने में मदद करता है।
  10. आत्मविश्वास: आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
  11. कर्मों में सुधार: यह व्यक्ति के दैनिक कार्यों में सुधार लाता है।
  12. शुभ फल: शुभ परिणाम और कार्यों में सफलता मिलती है।
  13. अच्छी सेहत: मानसिक शांति से शारीरिक स्वास्थ्य भी बेहतर होता है।
  14. परिवार में शांति: परिवार में सुख-शांति और प्रेम बना रहता है।
  15. ईश्वर कृपा: ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में संतुलन बना रहता है।

यह मंत्र न केवल धन और ज्ञान का आह्वान करता है, बल्कि जीवन में समृद्धि और शांति लाने में भी सहायक है।

 

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